Home TOURIST PLACES IN BIHAR खगड़िया के भरतखंड में अवस्थित 52 कोठरी, 53 द्वार का इतिहास

खगड़िया के भरतखंड में अवस्थित 52 कोठरी, 53 द्वार का इतिहास

खगड़िया के भरतखंड में अवस्थित 52 कोठरी 53 द्वार का इतिहास

खगड़िया जिले के गोगरी प्रखंड अंतर्गत सौढ दक्षिणी पंचायत के भरतखंड गांव का ढाई सौ साल पुराने 52 कोठी 53 द्वार के नाम से विख्यात पक्का एवं सुरंग को देखने के बिहार ही नहीं अन्य राज्यों के दुर दराज से कोने-कोने से लोग आते हैं।

  • मुगलकालीन कारीगर बकास्त मिया के हाथों इस महल की शानदार साजसज्जा की गई।
  • 18वीं सदी में राजा मध्यप्रदेश के तरौआ निवासी बाबू बैरम सिंह ने महल का निर्माण कराया।

52 कोठरी, 53 द्वार की विशेषता

  • इस महल की भव्यता का अंदाजा इससे भी लगाया जा सकता है कि, उक्त महल पांच बिघा, पांच कट्ठा, पांच धूर व पांच धुरकी में है।
  • भरतखंड के ऐतिहासिक भवन के प्रागण में बने चमत्कारी मंडप के चारों खंभों पर चोट करने पर अलग-अलग तरह की मनमोहक आवाज सुनाई देती थी। यह मंडप एक अद्वितीय और रोमांचक अनुभव प्रदान करता था, जो लोगों को अपनी शक्ति और समर्थन से प्रेरित करता था।
  • इसके अलावा, कारीगरों द्वारा बनाए गए सुरंग से राजा बाबू बैरम सिंह की रानी साहिवा गंगा द्वारा प्रतिदिन स्नान करने के लिए इस महल के प्रांगण में जाया जाता था। यह एक अद्वितीय और आध्यात्मिक अनुभव का संदर्भ था, जो लोगों को धार्मिकता और शांति का अनुभव कराता था।
  • विशेष रूप से नगरपाड़ा गाव में कारीगरों द्वारा एक विशाल कुआं का निर्माण किया गया था। यह कुआं अपनी विशेष वास्तुकला और भव्यता के लिए जाना जाता था और लोगों को प्राचीन संस्कृति के साथ जोड़ता था।
  • किले की बनावट, रक्षात्मक मुख्य द्वार के निर्माण और किले के चारों ओर गंगा नदी के जलधारा के प्रवाह का दृश्य आज भी पर्यटन का मुख्य केंद्र है। यहां की बनावट और वास्तुकला इसे एक अनूठा और आकर्षक स्थान बनाती है।

बनावट

  • महल सुरखी चूना, कत्था, और राख से बनाया गया है।
  • चमत्कारी मंडप एवं सुरंग का निर्माण इसके प्रांगण में किया गया है।

कोठरी और द्वार

  • महल में कुल 52 कोठली और 53 द्वार हैं।
  • दिवाल पर उकेरी गई मनमोहक चित्रकारी अजीबोगरीब अनुभव प्रदान करती हैं।

धरोहर की महत्ता

बौद्ध भिक्षुओं का रहा है तप स्थल

  • भरतखंड का इतिहास 18वीं सदी में बौद्ध भिक्षुओं के रहने का संदेश देता है।
  • अनेक बौद्ध भिक्षु यहां आकर सांस्कृतिक चेतना जगाते रहे थे।

कैसे पहुंचें यहां

  • भरतखंड किला खगड़िया और भागलपुर जिले के सीमांत में स्थित है।
  • स्थानीय स्टेशनों जैसे खगड़िया जंक्शन और मानसी जंक्शन से यहां पहुंचा जा सकता है।

किवदंती

  • महल के निर्माण के पीछे छिपे किवदंती और कथाएं हमें उसके महत्व का अहसास कराती हैं।
  • इसे “भरतखंड” का पक्का भी कहा जाता है, जो क्षेत्र के लिए गौरव की बात है।
  • कहा जाता है उस वक्त भूल वश महल में कोई व्यक्ति प्रवेश कर जाते थे तो निकलना आसान नहीं होता था।
  • महल की बनावट में सभी द्वार अलग अलग तरीकों की सजावट दिवाल पर आज भी जीवित हैं। इतना पुराना महल होने के बावजूद भी कारीगरों द्वारा दिवाल पर नक्काशी आज भी लोग देखने के लिए आते हैं इतिहासकारों का मानना है कि यह हमारी धरोहर है।
  • कभी इसे देखने के लिये देश-विदेश के लोग पहुंचते थे।
  • उस जमाने में इसे लोग भरतखंड नहीं वटखंड के नाम से जानते थे।
  • यह भरतखंड सम्पूर्ण जिला के लिये गौरव हुआ करता था।

अंत में

खगड़िया के भारतखंड में मौजूद इस एतिहासिक धरोहर को संजो के रखने की ज़रूरत है।इसके लिए इस क्षेत्र के नागरिक को अपने जनप्रतिनिधि को ध्यान लीलना चाहिए जिससे वो वो इस धरोहर के रख रखाव की व्यवस्था कर सके /

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