Thursday, April 18, 2024
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कालिदास रंगालय में दसवें पटना फिल्म फेस्टिवल का आयोजन

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पटना के कालिदास रंगालय में आज से हिरावल-जन संस्कृति मंच की ओर से आयोजित होने वाला ‘प्रतिरोध का सिनेमा’ अपने सफर का दस साल पूरा करने वाला है। दरअसल सार्थक और कला सिनेमा के शौक़ीन पटना के कुछ दर्शकों को नियमित रूप से आयोजित होने वाले इस आयोजन का इंतजार रहता है। 9 से 11 दिसंबर तक स्थानीय कालिदास रंगालय में इस साल दसवें पटना फिल्म फेस्टिवल का आयोजन हो रहा है, जो ‘हाशिये के लोगों के नाम’ समर्पित है। 10वें पटना फिल्म फेस्टिवल का उद्घाटन पवन श्रीवास्तव ही करेंगे ।

10वें पटना फिल्म फेस्टिवल की खास बात यह है कि इस बार पहले दिन दिखाई जाने वाली दोनों फिल्में जनसहयोग से बनाई गई हैं। ‘अपनी धुन में कबूतरी’, जिससे फिल्म फेस्टिवल का पर्दा उठेगा, वह सत्तर-अस्सी के दशक की एक प्रसिद्ध कुमाऊंनी लोकगायिका कबूतरी देवी के जीवनानुभवों पर केंद्रित है। यह प्रतिरोध का सिनेमा अभियान की उपलब्धि है। इस फिल्म का निर्देशन संजय मट्टू ने किया है । पहले दिन की दूसरी फिल्म ‘लाइफ आॅफ एन आउटकास्ट’ भारतीय समाज में दलित जीवन की त्रासदी, शोषण-उत्पीड़न और भेदभाव को बड़े सशक्त तरीके से दिखाने वाली फिल्म है। फिल्म के निर्देशक पवन श्रीवास्तव बिहार के छपरा के निवासी हैं। पहले दिन दिखाई जाने वाली दोनों फिल्मों के बारे में दर्शक उनके निर्देशकों से संवाद भी कर पाएंगे।

फेस्टिवल के दूसरे दिन युवाओं और सिनेमा के विद्यार्थियों द्वारा बनाई गई फिल्मों का विशेष सत्र ‘नये प्रयास’ नाम से होगा, जिसके तहत युवा फिल्मकार को प्रोत्शाहित किया जायेगा । इस सत्र में वुमानिया, गुब्बारे, छुट्टी, बी-22 और लुकिंग थ्रू फेंस नामक फिल्में दिखाई जाएंगी। दूसरे दिन महीन मिर्जा की फिल्म ‘अगर वो देश बनाती’, शाहीद अहमद और अशफाक की फिल्म ‘लिंच नेशन’ और जनकवि रमाशंकर विद्रोही पर केंद्रित नितिन पमनानी निर्देशित फिल्म ‘मैं तुम्हारा कवि हूं’ भी फेस्टिवल के विशेष आकर्षण होंगे। ‘नाच, भिखारी नाचशिल्पी गुलाटी और जैनेंद्र दोस्त द्वारा निर्देशित डाक्युमेंटरी फिल्म है, जिनके निर्देशक दर्शकों से संवाद के लिए मौजूद रहेंगे।
अंतिम दिन फिल्मों के प्रदर्शन की शुरुआत स्पानी कहानी पर आधारित बच्चों की एक बेहद प्यारी और मर्मस्पर्शी फिल्म ‘फर्दिनांद’ से होगी, जिसमें फूलों को पसंद करने वाले फर्दिनांद नाम के एक शांतिप्रिय बैल की कहानी के माध्यम से हिंसक प्रतिस्पद्र्धा की प्रवृत्ति, संस्कृति और व्यवस्था का विरोध किया गया है।
तक चलेगा
क्रांतिकारी वामपंथी धारा के प्रख्यात कवि और राजनीतिक कार्यकर्ता सरोज दत्त के जीवन और समय पर आधारित फिल्म- ‘सरोज दत्त एंड हिज टाइम्स’ 10वें पटना फिल्म फेस्टिवल का विशेष आकर्षण होगी। इस फिल्मं का निर्देशन कस्तूरी बसु और मिताली विश्वास ने किया है। दर्शक इस फिल्म की निर्देशिका से संवाद भी कर पाएंगे।

10वां पटना फिल्म फेस्टिवल इस मायने में यादगार रहेगा कि इसका समापन लुशून की विश्वप्रसिद्ध कहानी ‘पागल की डायरी’ पर आधारित नाटक से होगा। आयोजक संस्था हिरावल यह नाट्य प्रस्तुति करेगी।
हमेशा की तरह कालिदास रंगालय का प्रांगण सजा-धजा होगा, सभागार के बाहर पुस्तकों और फिल्मों की सीडी का स्टाॅल रहेगा। दर्शक इन फिल्मों को निःशुल्क देख पाएंगे और अपनी इच्छा के अनुरूप आयोजकों को सहयोग कर पाएंगे।

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