Wednesday, April 24, 2024
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तसवीरें : गया के पटवा टोली में खादी वस्त्रों का निर्माण

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गया के पटवा टोली का नाम आपने जरूर सुना होगा । गया जिला का वही गांव जहा के बच्चे आजकल आई आई टी में अपनी सफलता के नए झंडे गाड़ रहे हैं । ज्ञात रहे की प्रतिवर्ष इस गांव से बहुत सरे बच्चे भारतीय इंजीनियरिंग आ इस बड़ी परीक्षा ई आई टी को पास करते हैं ।

लेकिन आज हम पटवा टोली के उस व्यवसाय की बात करने जा रहे है जिस पर हमें और आपको बहुत नाज होगा ।

यह व्यवसाय है खादी वस्त्र का निर्माण| बिहार में बहुत से उद्यमी इस देशी व्यवसाय से जुड़े हैं ।शायद यही वजह थी खादी जितना देखने में बढ़िया और सुन्दर लगता है उतना ही पहनने में आरामदायक लगता है ।शायद इसी वजह से इस उद्योग या वस्त्र ने राष्ट्रपिता महात्मा गाँधी को अपनी और आकर्षित किया था और उन्होंने लोगो को इसे स्वरोजगार के तौर पर अपनाने और इसे वृहद् तौर पर उपयोग में लाने को बल दिया था ।

 

यह एक बिल्कुल अद्भुत प्रक्रिया है  । खादी या खद्दर भारत में हाँथ से बनने वाले वस्त्रों को कहते हैं। खादी वस्त्र सूती, रेशम, या ऊन हो सकते हैं। इनके लिये बनने वाला सूत चरखे की सहायता से बनाया जाता है।साथ या आठ प्रक्रिया के बाद खादी  वस्त्र तैयार होता है और तब जाके ये मार्केट में आता है ।

लेकिन दुखद सच्चाई यह है कि कपड़े की लोकप्रियता गिर रही है।खादी के प्रतिलोगो की उदासीनता और सरकार के इसका उच्च कोटि का प्रचार न कर पाने के कारण खादी के कारीगरों को उचित मुनाफा नहीं हो पा रहा रहा है ।

आइए तस्वीरों के माध्यम से देखते है की कैसे गया के पटवा टोली  के कारीगर मेहनत करके धागे को कपड़ों में बदलते है

तस्वीर 1

khadi making process in patwa toli of gaya 2

तस्वीर 2

khadi making process in patwa toli of gaya 1

तस्वीर 3

khadi making process in patwa toli o3f gaya

तस्वीर 4

khadi making process in patwa toli of gaya 5

तस्वीर 5

khadi making process in patwa toli of gaya 4

 

तस्वीर 6

khadi making process in patwa toli of gaya 6

तस्वीर 7

khadi making process in patwa toli of gaya 7

 

 

इतनी मेहनत के बाद ये कड़ी से बने कपडे हम पहन पाते हैं

खादी को पुनर्जीवित करने के लिए क्या किया जाना चाहिए ?? कोई सुझाव??
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