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राजगीर का सूर्य कुंड: ऐतिहासिक और धार्मिक महत्व

राजगीर, बिहार के नालंदा जिले में स्थित एक ऐतिहासिक स्थल है, जो पटना से लगभग 100 किलोमीटर दूर है। प्राचीन काल से यह स्थान धार्मिक और सांस्कृतिक महत्व का रहा है। पुराणों के अनुसार, यह शहर राजा बसु द्वारा स्थापित किया गया था, जो ब्रह्मा के चौथे पुत्र थे।

सूर्य कुंड का धार्मिक महत्व

सूर्य कुंड, राजगीर के प्रमुख तीर्थ स्थलों में से एक है। यहाँ पर सदियों पूर्व मगध राज्य के सम्राट जरासंध के परिजनों ने भगवान भास्कर को अर्घ्यदान किया था। यह कुंड विशेष रूप से धार्मिक आस्था का केंद्र है।

कहानी और उत्पत्ति

कहानी के अनुसार, राजा वसु ने अपने महायज्ञ के दौरान देवी-देवताओं के स्नान के लिए 22 कुंड और 52 धाराओं की उत्पत्ति की व्यवस्था की। इनमें से एक कुंड सूर्य कुंड है। इसके निर्माण के बाद से राजा और देवताओं ने यहाँ भगवान भास्कर की पूजा-अर्चना शुरू की, जो आज भी जारी है।

विशेषताएँ और महत्व

सूर्य कुंड बिहार में एकमात्र गर्म पानी का कुंड है। यहाँ छठ पूजा के अवसर पर भक्त चंद्रमा कुंड में स्नान करने के बाद सूर्य कुंड में स्नान करके भगवान भास्कर को अर्घ्यदान करते हैं। यह संयोजन इस स्थल को अनूठा बनाता है।

आध्यात्मिक लाभ

मान्यता है कि सच्चे श्रद्धा के साथ भगवान भास्कर की पूजा करने से भक्तों की इच्छाएँ पूरी होती हैं और कुष्ठ रोग से मुक्ति मिलती है। सूर्य कुंड की धार्मिक और औषधीय महत्वता इसे बिहार के प्रमुख तीर्थ स्थलों में से एक बनाती है।

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