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राम दुलारी सिन्हा: स्वतंत्रता सेनानी और राष्ट्रवादी नेता

जन्म और प्रारंभिक जीवन

राम दुलारी सिन्हा का जन्म 8 दिसंबर 1922 को गोपालगंज, बिहार में हुआ था। वे एक राष्ट्रवादी और स्वतंत्रता सेनानी थीं, जिन्होंने भारतीय स्वतंत्रता संग्राम में सक्रिय भागीदारी निभाई। बिहार में उनके योगदान के कारण उन्हें अत्यधिक सम्मान प्राप्त हुआ। उनके परिवार ने भी स्वतंत्रता आंदोलन में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।

शिक्षा और प्रारंभिक उपलब्धियां

राम दुलारी सिन्हा बिहार की पहली महिला थीं जिन्होंने मास्टर्स डिग्री प्राप्त की। शिक्षा के प्रति उनकी निष्ठा और संघर्ष ने उन्हें एक आदर्श नेता बनाया। इसके बाद, वे बिहार की पहली महिला राज्यपाल बनीं और अंतर्राष्ट्रीय श्रम संगठन (ILO) की उपाध्यक्ष के रूप में भी चुनी गईं।

स्वतंत्रता संग्राम और प्रारंभिक राजनीतिक जीवन

राम दुलारी सिन्हा ने स्वतंत्रता संग्राम के दौरान न केवल बिहार में बल्कि राष्ट्रीय स्तर पर भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। 1947-48 में, उन्हें बिहार प्रदेश युवा कांग्रेस का महासचिव नियुक्त किया गया और साथ ही वे बिहार महिला कांग्रेस की संगठन सचिव भी बनीं।

विधानसभा और लोकसभा में प्रवेश

1951 में, राम दुलारी सिन्हा ने मझोरगंज विधानसभा क्षेत्र से बिहार विधानसभा चुनाव जीता और इसके बाद 1962 में पटना लोकसभा क्षेत्र का प्रतिनिधित्व किया। उनके कार्यकाल ने उन्हें एक सशक्त महिला नेता के रूप में स्थापित किया।

केंद्रीय राज्य मंत्री और सामाजिक सुधारक

राम दुलारी सिन्हा ने 1971 से 1977 के दौरान बिहार सरकार में कई महत्वपूर्ण विभागों में मंत्री के रूप में कार्य किया, जिनमें श्रम एवं रोजगार, पर्यटन, समाज कल्याण और संसदीय कार्य विभाग शामिल थे। उन्होंने श्रमिक वर्ग के अधिकारों के लिए हमेशा आवाज उठाई और कई श्रमिक संगठनों में नेतृत्व किया।

अंतर्राष्ट्रीय श्रम संगठन की उपाध्यक्ष

उनके सामाजिक नेतृत्व को वैश्विक स्तर पर मान्यता मिली जब 1973 में उन्हें अंतर्राष्ट्रीय श्रम संगठन (ILO) की उपाध्यक्ष चुना गया। यह उनकी अंतर्राष्ट्रीय ख्याति और उनके नेतृत्व कौशल का प्रमाण था।

केंद्रीय राज्य मंत्री के रूप में कार्यकाल

1980 और 1984 में, राम दुलारी सिन्हा ने शिवहर लोकसभा निर्वाचन क्षेत्र से लगातार दो बार जीत हासिल की। इस दौरान उन्होंने केंद्रीय राज्य मंत्री के रूप में सूचना और प्रसारण मंत्रालय, श्रम और पुनर्वास मंत्रालय, इस्पात और खनन मंत्रालय, और वाणिज्य और उद्योग मंत्रालय में विभिन्न पदों पर कार्य किया।

केरल की राज्यपाल

राम दुलारी सिन्हा ने 23 फरवरी 1988 से 12 फरवरी 1990 तक केरल की राज्यपाल के रूप में भी अपनी सेवाएं दीं। वे बिहार की पहली महिला थीं जिन्होंने राज्यपाल पद पर कार्य किया, और उनका कार्यकाल सामाजिक सुधार और प्रशासनिक कौशल का उत्कृष्ट उदाहरण रहा।

सामाजिक सुधारक और उनके योगदान

राम दुलारी सिन्हा ने अपने पूरे जीवन में सामाजिक बुराइयों जैसे दहेज प्रथा, पर्दा प्रथा, और अस्पृश्यता के खिलाफ संघर्ष किया। उन्होंने समाज के कमजोर वर्गों के लिए निरंतर काम किया और महिलाओं के अधिकारों के प्रति विशेष रूप से जागरूक थीं।

राम दुलारी सिन्हा का जीवन स्वतंत्रता संग्राम, सामाजिक सुधार और राजनीतिक उत्कृष्टता का प्रतीक था। उनके योगदान को भारतीय राजनीति और समाज सेवा के क्षेत्र में हमेशा सम्मान के साथ याद किया जाएगा।

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