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बिहार के सबसे प्रसिद्ध झील

बिहार में स्थित विभिन्न झीलें अपनी ऐतिहासिक, सांस्कृतिक और प्राकृतिक महत्व के कारण प्रसिद्ध हैं। इनमें से कई झीलें प्रवासी पक्षियों का निवास स्थान होने के साथ-साथ मछली उत्पादन और पर्यटन के लिए महत्वपूर्ण हैं। यहाँ प्रमुख झीलों का वर्णन दिया गया है:

1. काँवर झील (बेगूसराय)

बेगूसराय जिले के मंझौल गाँव में स्थित काँवर झील, अपने 16 वर्ग किलोमीटर क्षेत्रफल के साथ एशिया की सबसे बड़ी गोखुर झील मानी जाती है। इसका निर्माण गंडक नदी के विसर्पण से हुआ था। यह झील जलचर वनस्पतियों की विभिन्न प्रजातियों का घर है, जिनमें प्रमुख हैं: हाइड्रा लेरिसिलाय, पोटोमोगेंटन, वेल्सनेरिया, लेप्लराल्स, निफसा, मिंफोलोड्स, सरपस वेटल्वेरिया। सर्दियों के महीनों (नवंबर से जनवरी) में यहाँ साइबेरिया और मध्य एशिया से प्रवासी पक्षी आते हैं। प्रसिद्ध पक्षी वैज्ञानिक सलीम अली के अनुसार, करीब 60 प्रजातियों के पक्षी इस झील में आते हैं और कुल मिलाकर यहाँ 106 प्रजातियों के पक्षी निवास करते हैं। यह झील न केवल जैव विविधता के लिए बल्कि प्रवासी पक्षियों के अध्ययन और संरक्षण के लिए भी महत्वपूर्ण है।

2. कुशेश्वर स्थान झील (दरभंगा)

दरभंगा जिले के कुशेश्वर स्थान में स्थित यह झील अपने बदलते क्षेत्रफल के लिए जानी जाती है, जो वर्षा के मौसम में 20 से 100 वर्ग किलोमीटर तक फैल जाता है। इसका विस्तार प्रमुख नदियों, जैसे कमला और करेह, के जल के संग्रह से होता है। इस झील का उपयोग मछली उत्पादन के लिए किया जाता है, और यह क्षेत्र मछली पालन के लिए एक प्रमुख केंद्र है। झील में प्रवासी पक्षी, विशेषकर पेलिकन डालमटिया और साइबेरियन क्रेन, सर्दियों के मौसम में प्रवास करते हैं। 1972 में इसे पक्षी अभयारण्य घोषित किया गया था, जो इसे पर्यावरणीय संरक्षण के लिहाज से और भी महत्वपूर्ण बनाता है। यह झील पर्यावरणीय अध्ययन के साथ-साथ पर्यटन के लिए भी एक प्रमुख स्थल है।

3. मुचलिंडा झील (बोधगया)

बोधगया में स्थित मुचलिंडा झील का बौद्ध धर्म में विशेष स्थान है। इस पवित्र झील के किनारे भगवान बुद्ध ने कठोर तपस्या की थी। झील के मध्य में भगवान बुद्ध की ध्यान मुद्रा में एक भव्य मूर्ति स्थापित है, जो इस स्थान को और भी अद्वितीय बनाती है। झील का वातावरण हरियाली से घिरा हुआ है, जो इसे शांत और आकर्षक बनाता है। यह धार्मिक और ऐतिहासिक महत्व के साथ-साथ प्राकृतिक सौंदर्य का केंद्र भी है, जहाँ बोधगया आने वाले पर्यटक और श्रद्धालु इसे देखने अवश्य आते हैं।

4. घोड़ा कटोरा झील (नालंदा)

राजगीर की हरी-भरी घाटियों में स्थित घोड़ा कटोरा झील अपने प्राकृतिक सौंदर्य और ऐतिहासिक महत्व के लिए जानी जाती है। यह झील विश्व शांति शिवालय के पास स्थित है, जो इसे धार्मिक और आध्यात्मिक यात्रा का हिस्सा बनाता है। यहाँ नौका विहार की सुविधा उपलब्ध है, जो पर्यटकों को झील के शांत पानी में सैर करने का अवसर प्रदान करती है। महाभारत काल के एक प्राचीन राजा, जरासंध, का निवास इस झील के पास बताया जाता है, जिससे इसका ऐतिहासिक महत्व और भी बढ़ जाता है। राजगीर आने वाले पर्यटकों के लिए यह एक प्रमुख आकर्षण है, जहाँ प्राकृतिक सौंदर्य और इतिहास का अद्भुत संगम देखने को मिलता है।


इन झीलों का अपना-अपना विशिष्ट महत्व है—चाहे वह पर्यावरणीय हो, ऐतिहासिक हो, या धार्मिक। प्रवासी पक्षियों से लेकर बौद्ध धर्म के पवित्र स्थल तक, ये झीलें बिहार की समृद्ध सांस्कृतिक और प्राकृतिक धरोहर को संजोए हुए हैं।

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