नाव खुले माँझी रे : अनिरूद्ध द्वारा रचित एक भोजपुरी रचना

  नाव खुले माँझी रे पंछी चहके डेरात, कुनमुनात र्छवरा बा,फुलवा महके डेरात, गुनगुनात भँवरा बा,कुलबुलात भोर लुका, कुहरा के पहरा बा,कुहा खुल माँझी रे, नाव खुल होसियार,धार, लहर, जल, अकास, रँगवा चीन्हऽ बयार,हइया रे हइया रे, भइया रे, थम्हले पतवार॥चहचहा उड़े फर-फर, चिड़ई-मड़ई जागे,गाय-भँइस खोल चले चरवाहा धुन रागे,झटक चले बैला सँग, कान्हे हरवा-कुदार॥चटक-मटक … Continue reading नाव खुले माँझी रे : अनिरूद्ध द्वारा रचित एक भोजपुरी रचना