Saturday, November 30, 2024

नाव खुले माँझी रे : अनिरूद्ध द्वारा रचित एक भोजपुरी रचना

  नाव खुले माँझी रे

पंछी चहके डेरात, कुनमुनात र्छवरा बा,
फुलवा महके डेरात, गुनगुनात भँवरा बा,
कुलबुलात भोर लुका, कुहरा के पहरा बा,
कुहा खुल माँझी रे, नाव खुल होसियार,
धार, लहर, जल, अकास, रँगवा चीन्हऽ बयार,
हइया रे हइया रे, भइया रे, थम्हले पतवार॥
चहचहा उड़े फर-फर, चिड़ई-मड़ई जागे,
गाय-भँइस खोल चले चरवाहा धुन रागे,
झटक चले बैला सँग, कान्हे हरवा-कुदार॥
चटक-मटक खिले कली, गमकल मग-गाँव-गली,
मतलब बहुते इयार, रसलोभी छली अली,
का सबेर दिलकली, खिले न जिया डर-अन्हार॥
प्यार धरम करम करे, हित जिनगी मेहनत बा,
बइठल मदवा स्वारथ, जियले में मउवत बा,
गैर कहाँ, के आपन, कुछ हमार ना तोहार॥
हाथ-हाथ जगरनाथ, हर देहिया खुदा एक,
एक रंग लहू हर तन, हर मजहब सदा एक,
हम सभ इनसान एक, भारत मइया हमार॥
पानी-दूधवा लजाय, भाई के खून पीअत,
धरम इहे मरदानी, अदमी ना अदमीअत,
बैरी के चाल मिलऽ, सुनलऽ भइया गोहार॥
साहस, बिसवास लगन, मिले कूल ठउआ ऊ,
जग सफर मुसाफिर हम, एक बा परउआ ऊ,
लगे जोर पहुँचा, पहुँचे नइया लगे पार॥
हइया रे हइया रे, भइया रे, थम्हले पतवार॥

रचना :अनिरूद्ध

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