Thursday, November 21, 2024

पटना तारामंडल: इंदिरा गांधी विज्ञान परिसर का प्रमुख आकर्षण

पटना का तारामंडल, जो इंदिरा गांधी विज्ञान परिसर में स्थित है, विज्ञान और खगोल विज्ञान में रुचि रखने वाले लोगों के लिए एक प्रमुख स्थल है। इसे बिहार काउंसिल ऑन साइंस एंड टेक्नोलॉजी के माध्यम से ₹11 करोड़ की लागत से बनाया गया था। इसकी संकल्पना 1989 में बिहार के तत्कालीन मुख्यमंत्री सत्येंद्र नारायण सिन्हा ने की थी, और इसे 1 अप्रैल 1993 को मुख्यमंत्री लालू प्रसाद यादव द्वारा जनता के लिए खोला गया। इस तारामंडल का नाम भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस की वरिष्ठ नेता और भारत की पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी के नाम पर रखा गया है।

एशिया के सबसे बड़े तारामंडलों में से एक

पटना तारामंडल एशिया के सबसे बड़े तारामंडलों में से एक है और यह हर साल बड़ी संख्या में घरेलू और विदेशी पर्यटकों को आकर्षित करता है। यहाँ खगोल विज्ञान से संबंधित विषयों पर नियमित फिल्म शो आयोजित किए जाते हैं, जो दर्शकों के लिए खगोलीय घटनाओं को समझने का बेहतरीन अवसर प्रदान करते हैं। इसके अलावा, तारामंडल में विशेष प्रदर्शनियाँ भी होती हैं, जो विज्ञान प्रेमियों के लिए एक अद्भुत अनुभव हैं।

स्काई थियेटर शो और तकनीकी विशेषताएँ

पटना तारामंडल में पिछले दो दशकों से “स्काई थियेटर शो” का आयोजन होता आ रहा है, जिसे और भी आकर्षक बनाने की तैयारी चल रही है। तारामंडल परंपरागत सेल्युलॉइड फिल्म के ऑप्टो-मैकेनिकल प्रक्षेपण का उपयोग करता है, जो दर्शकों को आकाशीय घटनाओं का वास्तविक अनुभव प्रदान करता है।

आधुनिकीकरण के प्रयास

2022 में, पटना तारामंडल का आधुनिकीकरण शुरू किया गया, जिसमें प्रमुख सुधारों को शामिल किया जा रहा है। इस सुधार के तहत तारामंडल को एक उन्नत प्रक्षेपण प्रणाली, ध्वनि में सुधार के लिए बेहतर ध्वनिक तकनीक, और एक नई हैंगिंग गुंबद के आकार की स्क्रीन से सुसज्जित किया जा रहा है। साथ ही, परिसर में एक उच्च क्षमता वाला ऑप्टिकल टेलीस्कोप भी स्थापित किया जाएगा, जो खगोल प्रेमियों के लिए और भी बेहतर अनुभव प्रदान करेगा।

पटना का यह तारामंडल वैज्ञानिक जागरूकता फैलाने के साथ-साथ एक आकर्षक पर्यटन स्थल भी है, जो खगोल विज्ञान के जटिल विषयों को सरल और रोमांचक ढंग से प्रस्तुत करता है।

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