ब्रिटिश राज के दौरान
ब्रिटिश राज के समय, बिहार एक अलग राज्य नहीं था; यह बंगाल का हिस्सा था। लंबे समय से बिहार को एक स्वतंत्र प्रांत के रूप में मान्यता देने की मांग उठ रही थी।
ऐतिहासिक घोषणा
12 दिसंबर 1911 को दिल्ली दरबार में ब्रिटिश सम्राट जॉर्ज पंचम ने ऐतिहासिक घोषणा की कि बिहार, जिसमें ओडिशा और झारखंड शामिल थे, को बंगाल से विभाजित कर एक स्वतंत्र प्रांत के रूप में स्थापित किया जाएगा।
आधिकारिक विभाजन
22 मार्च 1912 को बिहार को औपचारिक रूप से बंगाल से अलग कर एक नया प्रांत बनाया गया। इस विभाजन ने बिहार को अपने अलग अस्तित्व में ला दिया, लेकिन इसका आकार और स्वरूप समय के साथ बदलता रहा।
ओडिशा का विभाजन
1935 में, ओडिशा (तब उड़ीसा के नाम से जाना जाता था) को बिहार से अलग कर एक स्वतंत्र प्रांत का दर्जा दिया गया। यह विभाजन ओडिशा की सांस्कृतिक और ऐतिहासिक पहचान को मान्यता देने वाला एक महत्वपूर्ण कदम था।
झारखंड का गठन
15 नवंबर 2000 को, बिहार के दक्षिणी हिस्से को अलग कर झारखंड राज्य का गठन किया गया। यह क्षेत्र प्राकृतिक संसाधनों और आदिवासी समुदायों के लिए प्रसिद्ध है, और इसके अलग होने से झारखंड के विकास के लिए नए रास्ते खुले।
इस प्रकार, बिहार का ऐतिहासिक विकास और विभाजन समय के साथ राजनीतिक और सांस्कृतिक रूप से महत्वपूर्ण परिवर्तन लाते रहे हैं।
Bihar को एक अलग प्रांत के रूप में मान्यता 12 दिसंबर 1911 को दिल्ली दरबार में ब्रिटिश सम्राट जॉर्ज पंचम द्वारा दी गई थी। इस घोषणा में बिहार (जिसमें ओडिशा और झारखंड शामिल थे) को बंगाल से विभाजित करने की बात कही गई थी।
बिहार को औपचारिक रूप से 22 मार्च 1912 को बंगाल से अलग कर एक नया प्रांत बनाया गया।
बिहार और उड़ीसा, भारत सरकार अधिनियम, 1935 के तहत 1 अप्रैल 1936 को अलग-अलग प्रांत बने
झारखंड राज्य का गठन 15 नवंबर 2000 को बिहार के दक्षिणी हिस्से को अलग कर किया गया। यह क्षेत्र अपने प्राकृतिक संसाधनों और आदिवासी समुदायों के लिए प्रसिद्ध है।