परिचय
महात्मा गांधी सेतु, जिसे गांधी सेतु या गंगा सेतु भी कहा जाता है, बिहार में गंगा नदी पर बना एक पुल है, जो दक्षिण में पटना और उत्तर में हाजीपुर को जोड़ता है। इसकी लंबाई 5,750 मीटर (18,860 फीट) है, जो इसे भारत का चौथा सबसे लंबा नदी पुल बनाती है। इसे मई 1982 में हाजीपुर में तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी द्वारा उद्घाटित किया गया था। 1982 से 2017 तक, यह पुल भारत का सबसे लंबा पुल था। बाद में, गांधी सेतु पुनर्वास परियोजना के तहत इस पुल पर त्रिकोणीय स्टील ट्रस स्थापित किए गए।
योजना और महत्व
यह पुल 1969 में केंद्र सरकार द्वारा स्वीकृत किया गया और 1972 से 1982 तक दस वर्षों में गामन इंडिया लिमिटेड द्वारा निर्मित किया गया। इस परियोजना की कुल लागत ₹87.22 करोड़ (872.2 मिलियन रुपये) थी। इसका मुख्य उद्देश्य उत्तर बिहार को पटना के माध्यम से शेष बिहार से जोड़ना था और यह राष्ट्रीय राजमार्ग 19 (NH19) का हिस्सा है। इस पुल के निर्माण से पहले, बिहार में गंगा पार करने के लिए एकमात्र पुल राजेंद्र सेतु था, जो 1959 में खोला गया था और पटना से लगभग 85 किलोमीटर पूर्व में स्थित था। इसके बाद विक्रमशिला सेतु का निर्माण हुआ और दो और रेल-सह-सड़क पुलों का भी निर्माण पूरा हो चुका है। बिहार में कई अन्य पुलों का निर्माण भी जारी है, जैसे कच्ची दरगाह-बिद्दुपुर पुल।
इंजीनियरिंग
महात्मा गांधी सेतु 45 मध्यवर्ती स्पैन से बना है, जिनमें प्रत्येक की लंबाई 121.065 मीटर (397.19 फीट) है और दोनों छोर पर 65.530 मीटर (214.99 फीट) का एक स्पैन है। पुल का डेक 7.5 मीटर चौड़ा दो-लेन वाला मार्ग प्रदान करता है, जिसके दोनों ओर फुटपाथ हैं। पुल का निर्माण कैंटिलीवर सेगमेंटल निर्माण विधि से किया गया था, जिसमें प्रत्येक स्पैन के दोनों ओर कैंटिलीवर बीम होते हैं, जो छोरों पर स्वतंत्र रूप से हिल सकते हैं। पुल के दोनों लेन स्वतंत्र हैं और एक-दूसरे से कोई जुड़ाव नहीं है।
यातायात समस्या
हाल के दशकों में, पुल पर अत्यधिक यातायात के कारण बड़ी समस्याएं उत्पन्न हो गई हैं, जो इसकी क्षमता से अधिक हो गई है। बिहार सरकार ने इन समस्याओं को हल करने के लिए पुल के समानांतर दो अस्थायी पुलों के निर्माण की योजना बनाई है। पुल से प्रतिदिन लगभग 85,000 वाहन और 12,000 पैदल यात्री गुजरते हैं। 21 सितंबर 2020 को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इस पुल के पास एक और चार-लेन पुल की आधारशिला रखी, जिसकी लंबाई 14.5 किमी होगी और इसकी लागत ₹2926.42 करोड़ होगी। भविष्य में यह 8-लेन पुल में तब्दील हो जाएगा।