Thursday, November 21, 2024

ब्रह्मयोनि पहाड़ी- प्राचीन गुफाएँ और मंदिर

गया शहर, बिहार, चारों ओर छोटी-बड़ी कई पहाड़ियों से घिरा हुआ है, जिनका समृद्ध पौराणिक इतिहास है। इन पहाड़ियों में रामशिला, प्रेतशिला, और ब्रह्मयोनि प्रमुख हैं। विशेष रूप से, ब्रह्मयोनि पहाड़ी की महत्ता इस बात से स्पष्ट होती है कि इसके बिना गया का इतिहास अधूरा है।

गया शहर और उसकी पहाड़ियों: पौराणिक धरोहर

Brahmayoni Hill

ब्रह्मयोनि पहाड़ी की चोटी पर ब्रह्मयोनि और मैत्रेयनि नाम की दो प्राचीन गुफाएँ स्थित हैं। इसके अलावा, यहाँ अष्टभुजा देवी का एक मंदिर भी है। यह स्थल भक्ति और श्रद्धा का प्रतीक है, जहाँ श्रद्धालु आते हैं।

चढ़ाई और ऐतिहासिक संदर्भ

ब्रह्मयोनि पहाड़ी की चोटी पर पहुँचने के लिए 424 सीढ़ियाँ चढ़नी पड़ती हैं। रामायण काल में भी इस पहाड़ी का उल्लेख मिलता है। माना जाता है कि फल्गु नदी पहले ब्रह्मयोनि पहाड़ी के ऊपर से प्रवाहित होती थी, लेकिन सीता माता के श्राप के कारण यह नदी विलुप्त हो गई।

सीता माता का श्राप और पिण्ड दान

रामायण काल में सीता माता ने दशरथ जी का पिण्ड दान गया के सीता कुण्ड में किया था। पिण्ड दान के लिए उन्होंने फल्गु नदी, गाय, अक्षयवट वटवृक्ष, ब्रह्मयोनि पर्वत और केतकी के फूल को साक्षी बनाया। भगवान राम को पिण्ड दान प्रमाणित करने के लिए, सीता माता ने इन सभी को भगवान के सम्मुख प्रस्तुत किया।

ब्रह्मयोनि पहाड़ी: पर्यटन का आकर्षण

पर्यटन की दृष्टि से, ब्रह्मयोनि पहाड़ी गया आनेवाले पर्यटकों के बीच आकर्षण का प्रमुख केंद्र है। देश-विदेश से आने वाले पर्यटक यहाँ जरूर आते हैं, क्योंकि इसकी चोटी से गया शहर का मनोरम दृश्य देखने को मिलता है। यह स्थान न केवल आध्यात्मिकता का प्रतीक है, बल्कि प्राकृतिक सौंदर्य का भी भंडार है।

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