Saturday, November 23, 2024

अब्दुल गफ़ूर: स्वतंत्रता सेनानी और बिहार के तेरहवें मुख्यमंत्री

अब्दुल गफ़ूर(1918 – 10 जुलाई 2004) भारतीय स्वतंत्रता संग्राम के एक प्रमुख सेनानी और राजनीतिज्ञ थे, जिन्होंने बिहार के 13वें मुख्यमंत्री के रूप में सेवा की। 2 जुलाई 1973 से 11 अप्रैल 1975 तक मुख्यमंत्री रहते हुए, उन्होंने राज्य में कई महत्वपूर्ण निर्णय लिए। इसके अलावा, वे राजीव गांधी के मंत्रिमंडल में शहरी विकास मंत्री भी रहे।

प्रारंभिक जीवन

अब्दुल गफूर का जन्म बिहार के गोपालगंज जिले के छोटे से गांव सरेया अख्तरियार में एक साधारण किसान परिवार में हुआ था। शुरुआती शिक्षा जिले में ही पूरी करने के बाद वे उच्च शिक्षा के लिए पटना गए और फिर अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय (AMU) से एमए और कानून की पढ़ाई पूरी की।

स्वतंत्रता संग्राम में भूमिका

अब्दुल गफूर ने स्वतंत्रता आंदोलन के दौरान “भारत छोड़ो आंदोलन” में सक्रिय भाग लिया। वे बिहार कांग्रेस के ‘यंग टर्क्स’ नामक युवा नेताओं के समूह का हिस्सा थे, जिसमें बिंदेश्वरी दुबे, भगवत झा आजाद, चंद्रशेखर सिंह, सत्येंद्र नारायण सिन्हा और केदार पांडे जैसे भविष्य के मुख्यमंत्री भी शामिल थे।

राजनीतिक सफर

स्वतंत्रता के बाद, अब्दुल गफूर ने 1952 में पहली बार बिहार विधानमंडल के सदस्य के रूप में राजनीति में कदम रखा। 1973 में, उन्होंने बिहार के मुख्यमंत्री का पद संभाला और दो साल तक इस भूमिका में रहे। बाद में, 1984 में, उन्हें राजीव गांधी की सरकार में शहरी विकास मंत्री बनाया गया। उन्होंने लोकसभा के लिए दो बार चुनाव जीते—पहली बार 1984 में कांग्रेस के टिकट पर सीवान से, और 1996 में समता पार्टी के टिकट पर गोपालगंज से।

निधन और विरासत

10 जुलाई 2004 को पटना में उनका निधन हुआ। अब्दुल गफूर की राजनीतिक विरासत को उनके पोते आसिफ गफूर आगे बढ़ा रहे हैं। आसिफ गफूर अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी के सदस्य हैं और 2010 में बिहार विधानसभा चुनाव में बरौली से कांग्रेस के उम्मीदवार थे।

अब्दुल गफूर का जीवन स्वतंत्रता संग्राम और भारतीय राजनीति में एक महत्वपूर्ण योगदान के रूप में याद किया जाता है।

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