पटना विश्वविद्यालय एक प्रमुख सार्वजनिक राज्य विश्वविद्यालय है, जो बिहार, भारत के पटना में स्थित है। इसकी स्थापना 1 अक्टूबर 1917 को ब्रिटिश राज के दौरान हुई थी। यह बिहार का पहला विश्वविद्यालय है और भारतीय उपमहाद्वीप का सातवां सबसे पुराना विश्वविद्यालय है, जिसका ऐतिहासिक महत्व और शैक्षणिक योगदान उल्लेखनीय है।
इतिहास
पटना विश्वविद्यालय की स्थापना 1917 में सम्राट Legislative Council द्वारा पारित एक अधिनियम के तहत की गई थी। इसकी शुरुआत अक्टूबर 1917 में एक संबद्ध और परीक्षा निकाय के रूप में हुई, जब JG Jennings ने पहले कुलपति के रूप में कार्यभार संभाला। विश्वविद्यालय की यात्रा 1919 में अपने शासी निकायों—सेनेट और सिंडिकेट—के गठन के साथ जारी रही।
1926 में विश्वविद्यालय का प्रसिद्ध व्हीलर सेनेट हाउस का निर्माण हुआ, जिसके लिए मुंगेर के राजा देवकी नंदन प्रसाद ने धन दान किया। प्रारंभ में, विश्वविद्यालय का अधिकार क्षेत्र बिहार, ओडिशा, और नेपाल के सभी उच्च शैक्षणिक संस्थानों पर था। यह विभिन्न शैक्षणिक संस्थानों के लिए परीक्षाएं संचालित करता था, जो कि स्कूल स्तर से लेकर स्नातकोत्तर स्तर तक फैली थीं। यह स्थिति लगभग चार दशकों तक बनी रही, जब तक कि त्रिभुवन विश्वविद्यालय, काठमांडू और उत्कल विश्वविद्यालय, भुवनेश्वर की स्थापना नहीं हुई।
2 जनवरी 1952 को, पटना विश्वविद्यालय को एक पूर्ण शिक्षण-संस्थान में परिवर्तित किया गया, जिसका अधिकार क्षेत्र केवल मेट्रो पटना तक सीमित कर दिया गया। यह निर्णय इस विश्वविद्यालय को एक शिक्षण केंद्र के रूप में और अधिक संगठित और केंद्रित बनाने के लिए लिया गया था। विश्वविद्यालय की प्रमुख इमारतें गंगा नदी के तट पर स्थित हैं और इसके Saidpur Campus में फैली हुई हैं।
संगठन और प्रशासन
पटना विश्वविद्यालय के चांसलर बिहार के राज्यपाल होते हैं, जो विश्वविद्यालय के शासी निकायों के प्रमुख होते हैं। विश्वविद्यालय के कुलपति K. C. Sinha हैं, जो विश्वविद्यालय के प्रमुख कार्यकारी अधिकारी होते हैं। इसके अलावा, डॉ. अजय कुमार सिंह वर्तमान प्रो-वाइस चांसलर के रूप में कार्यरत हैं।
पटना विश्वविद्यालय की प्रशासनिक संरचना में कई महत्वपूर्ण निकाय शामिल हैं, जैसे विश्वविद्यालय की सेनेट, सिंडिकेट, और विभिन्न शैक्षणिक परिषदें। ये निकाय विश्वविद्यालय की नीति निर्धारण और शैक्षणिक कार्यक्रमों के कार्यान्वयन में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं।
फैकल्टी और विभाग
पटना विश्वविद्यालय में 30 विभाग हैं, जिन्हें आठ फैकल्टी में विभाजित किया गया है:
- विज्ञान फैकल्टी: इस फैकल्टी में भौतिकी, रसायन विज्ञान, गणित, वनस्पति, जीवविज्ञान, सांख्यिकी और भूविज्ञान के विभाग शामिल हैं। ये विभाग छात्रों को विभिन्न वैज्ञानिक विषयों में गहराई से अध्ययन करने का अवसर प्रदान करते हैं।
- मानविकी फैकल्टी: इसमें अंग्रेजी, हिंदी, बांग्ला, संस्कृत, मैथिली, फारसी, दर्शनशास्त्र, अरबी, और उर्दू के विभाग हैं। यह फैकल्टी साहित्य, भाषा और संस्कृति के अध्ययन के लिए महत्वपूर्ण है।
- सामाजिक विज्ञान फैकल्टी: यह फैकल्टी इतिहास, भूगोल, मनोविज्ञान, प्राचीन भारतीय इतिहास और पुरातत्व, अर्थशास्त्र, मानव संसाधन प्रबंधन, समाजशास्त्र, राजनीति विज्ञान, और लोक प्रशासन के विभागों का समावेश करती है। यह समाज और उसकी संरचना को समझने में मदद करती है।
- कानून, शिक्षा, वाणिज्य, ललित कला, और चिकित्सा: प्रत्येक में केवल एक विभाग होता है, जैसे कानून के लिए लॉ, शिक्षा के लिए शिक्षा, वाणिज्य के लिए वाणिज्य, और चिकित्सा के लिए BDS।
शिक्षा और दूरस्थ शिक्षा
पटना विश्वविद्यालय और इसके संबद्ध कॉलेज विभिन्न क्षेत्रों में स्नातक और स्नातकोत्तर पाठ्यक्रम प्रदान करते हैं। इनमें कानून, शिक्षक प्रशिक्षण, विज्ञान, कला, वाणिज्य, चिकित्सा, और इंजीनियरिंग शामिल हैं। इन पाठ्यक्रमों में प्रवेश मुख्य रूप से पटना विश्वविद्यालय द्वारा आयोजित सामान्य प्रवेश परीक्षा (CET) के परिणामों के आधार पर होता है।
इसके अलावा, विश्वविद्यालय ने 1974 से दूरस्थ शिक्षा का कार्यक्रम भी शुरू किया है, जिसके अंतर्गत विभिन्न स्नातकोत्तर पाठ्यक्रम प्रदान किए जाते हैं। यह कार्यक्रम उन छात्रों के लिए महत्वपूर्ण है जो नियमित कक्षाओं में भाग लेने में असमर्थ हैं।
पुस्तकालय
पटना विश्वविद्यालय का केंद्रीय पुस्तकालय 1919 में स्थापित किया गया था। यह पुस्तकालय विश्वविद्यालय के शैक्षणिक संसाधनों का एक महत्वपूर्ण केंद्र है, जिसमें 4,00,000 से अधिक पुस्तकें, पत्रिकाएं, पांडुलिपियां, और अन्य मूल्यवान सामग्री शामिल है। इसके अलावा, प्रत्येक विभाग में विभागीय पुस्तकालय भी हैं, जो विशेष विषयों पर विस्तृत साहित्य प्रदान करते हैं।
रैंकिंग और मान्यता
पटना विश्वविद्यालय को यूजीसी अधिनियम के धारा 12B के तहत मान्यता प्राप्त है। 2019 में, राष्ट्रीय मूल्यांकन और प्रत्यायन परिषद (NAAC) ने पटना विश्वविद्यालय को पहले चक्र में ‘B+’ ग्रेड प्रदान किया। यह मान्यता विश्वविद्यालय की शैक्षणिक गुणवत्ता और उसके विकास के प्रयासों को दर्शाती है।
पटना विश्वविद्यालय का यह इतिहास, शैक्षणिक कार्यक्रम, और विकास की दिशा इसे बिहार के प्रमुख शैक्षणिक संस्थानों में एक महत्वपूर्ण स्थान प्रदान करते हैं। विश्वविद्यालय का लक्ष्य न केवल ज्ञान का प्रसार करना है, बल्कि एक ऐसी शैक्षणिक संस्कृति का निर्माण करना है जो छात्रों को समग्र विकास के लिए प्रेरित करे।Official site-https://pup.ac.in/