परिचय
गांधी मैदान, भारत के बिहार राज्य में स्थित एक ऐतिहासिक स्थल है, जो पटना शहर के केंद्र में गंगा नदी के किनारे फैला हुआ है। यह मैदान 60 एकड़ में फैला हुआ है और इसके पश्चिम में गोलघर स्थित है। गांधी मैदान का इतिहास गहरा और समृद्ध है, जो न केवल खेल गतिविधियों से जुड़ा हुआ है, बल्कि भारतीय स्वतंत्रता संग्राम का एक महत्वपूर्ण केंद्र भी रहा है।
इतिहास
गांधी मैदान की नींव ब्रिटिश शासन के दौरान 1824-1833 के बीच रखी गई थी, जब इसे पटना लॉन्स के नाम से जाना जाता था। इस समय के दौरान, इसे गोल्फ कोर्स और घुड़दौड़ ट्रैक के रूप में उपयोग किया जाता था। पटना लॉन्स ने भारतीय स्वतंत्रता आंदोलन के दौरान कई महत्वपूर्ण घटनाओं का गवाह बनने का कार्य किया।
खैरुन मियां, जिन्होंने इस जमीन को स्वतंत्रता संग्राम को आगे बढ़ाने के लिए दान किया, उनके योगदान को आज भी याद किया जाता है। इस मैदान पर कई स्वतंत्रता सेनानियों की बैठकें आयोजित की गईं, जिसमें मोहनदास के. गांधी, राजेंद्र प्रसाद, अनुग्रह नारायण सिन्हा, सरदार पटेल, मौलाना आज़ाद, जवाहरलाल नेहरू, जय प्रकाश नारायण और श्री कृष्ण सिन्हा जैसे प्रमुख नेताओं ने रैलियों को संबोधित किया।
महत्वपूर्ण आंदोलन
गांधी मैदान पर आयोजित प्रमुख आंदोलनों में चंपारण आंदोलन और 1942 का भारत छोड़ो आंदोलन शामिल हैं। इस मैदान का इतना राजनीतिक महत्व था कि कहा जाता था कि जब तक कोई नेता यहाँ पर रैली को संबोधित नहीं करता था, तब तक उनकी राष्ट्रीय पहचान अधूरी मानी जाती थी। इसी मैदान से इंदिरा गांधी के खिलाफ जेपी आंदोलन का भी आरंभ हुआ, जिसने राजनीतिक इतिहास में महत्वपूर्ण स्थान बनाया।
वर्तमान उपयोग
आज, गांधी मैदान का उपयोग विभिन्न सामूहिक आयोजनों के लिए किया जाता है, जैसे निजी पार्टियां, सामूहिक प्रार्थनाएँ, और व्यापार मेले। प्रत्येक वर्ष 15 अगस्त (स्वतंत्रता दिवस) और 26 जनवरी (गणतंत्र दिवस) पर ध्वजारोहण समारोह आयोजित किए जाते हैं, जिसमें बिहार के मुख्यमंत्री और राज्यपाल शामिल होते हैं।
गांधी संग्रहालय
गांधी मैदान के उत्तर-पश्चिमी कोने में गांधी संग्रहालय स्थित है, जिसमें महात्मा गांधी की उपस्थिति और बिहार के साथ उनके संबंधों की विभिन्न चित्र और अभिलेख प्रदर्शित किए गए हैं। यह संग्रहालय गांधी जी के जीवन और उनके संघर्षों का एक महत्वपूर्ण दस्तावेज है।
महात्मा गांधी की उपस्थिति
पटना लॉन में चंपारण सत्याग्रह के समय महात्मा गांधी ने एक विशाल सभा को संबोधित किया था। यह सभा ऐतिहासिक थी क्योंकि इसी दौरान भारतीयों को पहली बार बिना किसी प्रतिबंध के इस मैदान में जाने की अनुमति दी गई थी, जो पहले केवल यूरोपीय लोगों और कुलीन वर्ग के लिए आरक्षित था।
नाम परिवर्तन और श्रद्धांजलि
महात्मा गांधी की हत्या के बाद, 1948 में इस ऐतिहासिक पटना लॉन का नाम बदलकर गांधी मैदान रखा गया। 1990 के दशक में, इस मैदान के दक्षिणी छोर पर गांधी जी की एक प्रतिमा स्थापित की गई, जो उनकी शहादत को याद करती है और आज भी यहां आने वाले लोगों को प्रेरित करती है।