मेले का समय और महत्व
हर साल, सितंबर से अक्टूबर के बीच, गया शहर में एक विशेष मेला आयोजित होता है। इस दौरान लाखों श्रद्धालु यहाँ आते हैं ताकि वे अपने परिवार के पूर्वजों के लिए पिंडदान और अन्य धार्मिक क्रियाएं कर सकें। यह मेला पितृ पक्ष के अवसर पर होता है, जो पितरों की पूजा और उनकी आत्मा की शांति के लिए समर्पित है।
गया का धार्मिक महत्त्व
गया का माहात्म्य धार्मिक दृष्टि से अत्यधिक महत्वपूर्ण है। इसे “पितृों का तीर्थ” भी कहा जाता है, जहाँ श्रद्धालु अपने पूर्वजों की आत्मा को मोक्ष दिलाने के लिए आते हैं। यहाँ की पवित्रता और धार्मिक वातावरण श्रद्धालुओं को आध्यात्मिक शांति और आशीर्वाद की प्राप्ति में मदद करता है।फल्गु नदी के तट पर पिंडदान करने से पितरों को स्वर्ग में जगह मिलती है और वो जन्म-मरण के चक्र से मुक्त हो जाते हैं।
श्रद्धालुओं की आस्था
लाखों श्रद्धालुओं की उपस्थिति इस बात का प्रमाण है कि गया में पिंडदान और अन्य धार्मिक क्रियाओं का कितना महत्व है। यह एक ऐसा स्थान है, जहाँ लोग न केवल अपने पूर्वजों के प्रति श्रद्धा अर्पित करते हैं, बल्कि खुद को भी आध्यात्मिक रूप से समृद्ध करते हैं।