अहल्या स्थान (या अहिल्या स्थान) बिहार राज्य के दरभंगा जिले के अहियारी साउथ में स्थित एक प्रसिद्ध हिंदू मंदिर है। यह मंदिर महर्षि गौतम की पत्नी, अहल्या को समर्पित है। रामायण की कथा में अहल्या की महत्वपूर्ण भूमिका है, और यह स्थल उसी कथा के आधार पर धार्मिक मान्यता प्राप्त है।
दंतकथा
रामायण के अनुसार, भगवान राम और उनके भाई लक्ष्मण महर्षि विश्वामित्र के साथ उनके यज्ञ की रक्षा के लिए जंगल में गए थे। यात्रा के दौरान वे एक निर्जन स्थान पर पहुंचे जिसे गौतम आश्रम कहा जाता था। राम के पूछने पर, महर्षि विश्वामित्र ने उन्हें सती अहल्या की कहानी सुनाई, जो महर्षि गौतम की पत्नी थीं।
कथा के अनुसार, एक दिन जब गौतम ऋषि आश्रम से बाहर गए हुए थे, इंद्र ने उनका रूप धारण कर लिया और अहल्या को धोखा दिया। अहल्या को जब इस बात का पता चला, तो गौतम ऋषि ने उन्हें श्राप दे दिया कि वह पत्थर की शिला बनकर यहां पड़ी रहेंगी। जब अहल्या ने क्षमा मांगी, तो महर्षि ने कहा कि भगवान राम जब इस स्थान पर आएंगे, तब तुम पुनः अपने वास्तविक रूप में लौट आओगी।
राम के इस स्थान पर पहुंचने पर, उनके तेज से अहल्या जीवित हो उठीं और राम की प्रार्थना की। अहल्या, जो महर्षि की पत्नी थीं, को राम और लक्ष्मण ने आदरपूर्वक प्रणाम किया।
मंदिर का इतिहास
अहल्या स्थान वही जगह है, जहां महर्षि गौतम का आश्रम हुआ करता था। वर्तमान में मंदिर का निर्माण 1662 से 1682 के बीच महाराजा छत्र सिंह और महाराजा रुद्र सिंह के शासनकाल के दौरान हुआ। यह मंदिर भारत का पहला राम-जानकी मंदिर भी माना जाता है। मंदिर की वास्तुकला प्राचीन भारतीय शैली में निर्मित है, जिसमें अद्वितीय कला और नक्काशी का प्रदर्शन किया गया है।
मंदिर के भीतर एक समतल पत्थर मौजूद है, जिस पर देवी सीता के चरणचिह्न माने जाते हैं। यही पत्थर इस मंदिर का प्रमुख पूज्य वस्तु है।
अहल्या स्थान एक पवित्र स्थल है जो न केवल रामायण की कथा से जुड़ा है, बल्कि भारतीय संस्कृति और धार्मिक धरोहर का महत्वपूर्ण हिस्सा है।
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