चिराग कुमार पासवान भारतीय राजनीति में एक उभरते हुए नेता और पूर्व अभिनेता हैं। उनका जन्म 31 अक्टूबर 1982 को हुआ था। वे भारतीय राजनीति के दिग्गज और लोक जनशक्ति पार्टी (एलजेपी) के संस्थापक, रामविलास पासवान के पुत्र हैं। चिराग ने अपने पिता के नक्शे कदम पर चलते हुए राजनीति में कदम रखा, हालांकि उन्होंने अपने करियर की शुरुआत फिल्म इंडस्ट्री से की थी। आज वे भारतीय राजनीति में एक महत्वपूर्ण स्थान रखते हैं, खासकर बिहार की राजनीति में।
प्रारंभिक जीवन और अभिनय करियर
चिराग पासवान का जन्म एक प्रभावशाली परिवार में हुआ था। उनके पिता रामविलास पासवान एक प्रमुख राजनीतिक शख्सियत थे, जबकि उनकी मां, रीना शर्मा, अमृतसर की एक पंजाबी हिंदू और एयर होस्टेस थीं। इस तरह चिराग की परवरिश एक समृद्ध सांस्कृतिक परिवेश में हुई।
चिराग की शिक्षा कंप्यूटर इंजीनियरिंग के क्षेत्र में शुरू हुई, लेकिन वे तीसरे सेमेस्टर में पढ़ाई छोड़कर अभिनय की दुनिया में कदम रखे। 2011 में उन्होंने बॉलीवुड में फिल्म मिले ना मिले हम के साथ डेब्यू किया। हालांकि यह फिल्म बॉक्स ऑफिस पर खास सफलता हासिल नहीं कर सकी, लेकिन इसने चिराग के करियर को एक नई दिशा दी। उन्होंने जल्द ही फिल्मी दुनिया को अलविदा कहकर अपने पिता के राजनीतिक विरासत को आगे बढ़ाने का निर्णय लिया।
राजनीतिक करियर की शुरुआत
2014 के आम चुनावों में चिराग पासवान ने अपने राजनीतिक करियर की शुरुआत की। उन्होंने बिहार के जमुई लोकसभा क्षेत्र से लोक जनशक्ति पार्टी के उम्मीदवार के रूप में चुनाव लड़ा और बड़ी जीत दर्ज की। उन्होंने राष्ट्रीय जनता दल (आरजेडी) के उम्मीदवार सुधांशु शेखर भास्कर को 85,000 से अधिक वोटों से हराया। इस चुनावी जीत ने उन्हें बिहार के युवा नेताओं में एक महत्वपूर्ण स्थान दिलाया।
2019 के चुनावों में, चिराग ने जमुई सीट से फिर से जीत हासिल की और इस बार उन्होंने भूदेव चौधरी को हराया। उनके वोट प्रतिशत में 18.97% की वृद्धि देखी गई, जिससे उनकी राजनीतिक लोकप्रियता और प्रभाव में इजाफा हुआ।
पारिवारिक संघर्ष और पार्टी में उथल-पुथल
रामविलास पासवान के निधन के बाद, 2021 में चिराग पासवान को पार्टी के भीतर पारिवारिक संघर्षों का सामना करना पड़ा। उनके चाचा पशुपति कुमार पारस ने उन्हें लोकसभा में पार्टी नेता के पद से हटा दिया। इस घटना के बाद, चिराग ने पार्टी के पांच सांसदों को “विरोधी गतिविधियों” के कारण बाहर कर दिया, जिसमें उनके चाचा और चचेरे भाई प्रिंस राज भी शामिल थे।
हालांकि, इस पारिवारिक संघर्ष के बावजूद, चिराग ने लोक जनशक्ति पार्टी (रामविलास) के नाम से अपना खुद का धड़ा तैयार किया और राजनीति में सक्रिय बने रहे। 2024 के चुनावों में, चिराग ने अपने पिता की पूर्व सीट हाजीपुर से चुनाव लड़ा और 53.3% वोट शेयर के साथ जीत हासिल की। हालांकि यह जीत एलजेपी के पिछले प्रदर्शन के मुकाबले थोड़ा कम थी, फिर भी यह उनके नेतृत्व क्षमता और राजनीतिक समझ को साबित करती है।
मंत्री पद और सामाजिक कार्य
चिराग पासवान को 10 जून 2024 को भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) की सरकार में केंद्रीय खाद्य प्रसंस्करण उद्योग मंत्री के रूप में शामिल किया गया। यह पद उन्हें भारतीय राजनीति में एक नए आयाम में ले गया और उनकी राजनीतिक यात्रा में एक महत्वपूर्ण मील का पत्थर साबित हुआ।
चिराग पासवान सामाजिक कार्यों में भी सक्रिय हैं। उन्होंने चिराग का रोजगार नामक एक गैर-सरकारी संगठन (एनजीओ) की स्थापना की, जिसका उद्देश्य बिहार के बेरोजगार युवाओं को रोजगार के अवसर प्रदान करना है। उनका यह प्रयास राज्य के विकास और युवाओं के सशक्तिकरण की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है।
फिल्मी करियर और पुरस्कार
चिराग पासवान का फिल्मी करियर भले ही संक्षिप्त रहा हो, लेकिन उन्होंने 2011 में मिले ना मिले हम नामक फिल्म में अभिनय किया। इस फिल्म में उनके प्रदर्शन के लिए उन्हें 2012 के स्टारडस्ट अवार्ड्स में “सुपरस्टार ऑफ टुमॉरो – मेल” के लिए नामांकित किया गया। हालांकि फिल्म ने ज्यादा सफलता नहीं देखी, लेकिन यह चिराग के जीवन के उस अध्याय को दर्शाता है, जब उन्होंने अभिनय के क्षेत्र में अपना भाग्य आजमाया था।
निष्कर्ष
चिराग कुमार पासवान ने अपने जीवन में विभिन्न भूमिकाओं को निभाया है—चाहे वह एक अभिनेता के रूप में हो या एक राजनेता के रूप में। अपने पिता रामविलास पासवान की राजनीतिक विरासत को आगे बढ़ाते हुए, चिराग ने बिहार और राष्ट्रीय राजनीति में अपनी पहचान बनाई है। उनके नेतृत्व में लोक जनशक्ति पार्टी (रामविलास) बिहार की राजनीति में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभा रही है, और केंद्रीय मंत्री के रूप में उनकी जिम्मेदारियों ने उन्हें राष्ट्रीय स्तर पर एक मजबूत नेता के रूप में स्थापित किया है।
चिराग का करियर उनके विविध अनुभवों का परिणाम है, और वे राजनीति में आगे बढ़ते हुए नए आयाम स्थापित करने के लिए प्रतिबद्ध हैं। उनकी सामाजिक पहलकदमियां और युवाओं के सशक्तिकरण के प्रति उनकी प्रतिबद्धता उन्हें एक जिम्मेदार और दूरदर्शी नेता के रूप में परिभाषित करती है।