Tuesday, October 15, 2024

दलेर मेहंदी: पॉप संगीत के बादशाह

दलेर सिंह (जन्म 18 अगस्त 1967), जिन्हें दलेर मेहंदी के नाम से जाना जाता है, एक भारतीय गायक, गीतकार, लेखक और रिकॉर्ड निर्माता हैं। उन्होंने भांगड़ा और भारतीय पॉप संगीत को बॉलीवुड संगीत से स्वतंत्र रूप से वैश्विक स्तर पर लोकप्रिय बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। उन्हें उनके नृत्य गीतों, पगड़ी और लंबे लहराते हुए वस्त्रों के लिए जाना जाता है।

प्रारंभिक जीवन

दलेर मेहंदी का जन्म पटना, बिहार में एक सिख परिवार में हुआ था। 1991 में, उन्होंने अपने भाइयों, चचेरे भाइयों और दोस्तों के साथ एक म्यूजिक ग्रुप का गठन किया। 1994 में, उन्हें अल्माटी, कजाकिस्तान में आयोजित वॉयस ऑफ एशिया इंटरनेशनल एथनिक एंड पॉप म्यूजिक प्रतियोगिता में सम्मानित किया गया।

संगीत करियर

दलेर मेहंदी ने 1995 में अपने पहले एल्बम बोलो ता रा रा से संगीत की दुनिया में कदम रखा, जिसने 20 मिलियन से अधिक प्रतियों की बिक्री की और उन्हें तुरंत पॉप स्टार बना दिया। यह एल्बम इतना सफल हुआ कि इसे चैनल वी के बेस्ट इंडियन मेल पॉप आर्टिस्ट अवॉर्ड से नवाज़ा गया। इसके बाद उनके दूसरे एल्बम दर्दी रब रब ने भी बड़ी सफलता हासिल की और दलेर मेहंदी ने भारतीय संगीत जगत में एक मजबूत स्थान बना लिया।

1997 में, उन्होंने तीसरा एल्बम बल्ले बल्ले रिलीज़ किया, जिसने उन्हें चैनल वी अवार्ड्स में छह श्रेणियों में सम्मानित किया। उसी वर्ष, उन्होंने बॉलीवुड फिल्म मृत्युदाता के लिए ना ना ना रे नामक लोकप्रिय गीत की रचना और प्रदर्शन किया, जिसमें वे अमिताभ बच्चन के साथ बड़े पर्दे पर नज़र आए।

1998 में, दलेर मेहंदी ने तुनक तुनक तुन रिलीज़ किया, जो उस समय के लिए एक असाधारण बजट पर आधारित म्यूजिक वीडियो था। यह गीत भारत में बहुत बड़ी सफलता साबित हुआ और बाद में अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भी प्रसिद्ध हुआ। इस एल्बम को 1998 के स्क्रीन अवार्ड्स में बेस्ट इंडियन पॉप एल्बम का पुरस्कार भी मिला।

इसके बाद, उन्होंने एक दाना (2000) और मोझां लैण दो (2004) जैसे कई एल्बम रिलीज़ किए, जिनमें विभिन्न शैलियों का मिश्रण था। उन्होंने कई बॉलीवुड फिल्मों के लिए प्लेबैक सिंगिंग भी की, जैसे कि मकबूल और लेकिर

अंतरराष्ट्रीय पहचान और दौरे

दलेर मेहंदी ने 1998 में कोका-कोला के साथ एक अनुबंध किया और पूरे भारत में 30 से अधिक संगीत कार्यक्रमों में प्रदर्शन किया। उन्होंने अमेरिका, कनाडा, ऑस्ट्रेलिया, न्यूज़ीलैंड, ब्रिटेन, संयुक्त अरब अमीरात, दक्षिण अफ्रीका, और कई अन्य देशों में भी संगीत प्रस्तुतियां दीं।

2013 में, उन्होंने स्पेन में यूफेस्ट फेस्टिवल में प्रदर्शन किया, और 2014 में उन्हें NASDAQ स्टॉक एक्सचेंज में समापन घंटी बजाने के लिए अतिथि के रूप में आमंत्रित किया गया था। उसी वर्ष, उन्होंने कुवैत में चार घंटे से अधिक समय तक बिना रुके प्रदर्शन किया, जिसने उनके संगीत करियर में एक नया रिकॉर्ड स्थापित किया।

संगीत शैली और नवाचार

दलेर मेहंदी ने एक नई संगीत शैली “रब्बाबी” का सृजन किया, जो ठुमरी, सूफी, और रॉक का मिश्रण है। उन्होंने स्वर मंदिर नामक एक नया वाद्ययंत्र भी विकसित किया, जिसमें रबाब, स्वारमंडल और तानपुरा के प्रभाव शामिल हैं। इस वाद्ययंत्र को भारतीय शास्त्रीय संगीत के महानायक, पंडित रवि शंकर द्वारा लॉन्च किया गया था।

व्यवसायिक पहल और सामाजिक योगदान

दलेर मेहंदी ने 2000 में अपनी पहली रिकॉर्ड लेबल DRecords की स्थापना की, जिसके तहत कई कलाकारों को प्रमोट किया गया। उन्होंने पर्यावरण संरक्षण के लिए 1998 में “दलेर मेहंदी ग्रीन ड्राइव” की शुरुआत की, जिसके तहत उन्होंने दिल्ली के आसपास 1.2 मिलियन से अधिक पौधों को लगाया।

उन्होंने कई धर्मार्थ कार्यों में भी योगदान दिया, जैसे कि पाकिस्तान में इमरान खान के शौकत खानम मेमोरियल ट्रस्ट के लिए 5 मिलियन डॉलर जुटाना। उन्होंने भारत के करगिल युद्ध के शहीदों के परिवारों के लिए भी धन जुटाया और गुजरात भूकंप पीड़ितों के पुनर्निर्माण कार्यों में भी सक्रिय रूप से भाग लिया।

राजनीतिक करियर और विवाद

दलेर मेहंदी ने 2019 में भारतीय जनता पार्टी (BJP) में शामिल होकर राजनीति में कदम रखा। हालांकि, 2018 में उन्हें मानव तस्करी के आरोपों में दोषी पाया गया और दो साल की सजा सुनाई गई। हालांकि, कुछ समय बाद उनकी सजा निलंबित कर दी गई और उन्हें जमानत पर रिहा कर दिया गया।

व्यक्तिगत जीवन

दलेर मेहंदी का पारिवारिक जीवन भी समृद्ध है। उनके भाई प्रसिद्ध गायक मिका सिंह और शमशेर सिंह हैं। उनकी पत्नी का नाम तरणप्रीत कौर है और उनके चार बच्चे हैं। उनके बेटे, गुरदीप मेहंदी ने भी संगीत के क्षेत्र में कदम रखा है, और उनकी बेटी अजित कौर की शादी प्रसिद्ध पंजाबी गायक हंस राज हंस के बेटे नवराज हंस से हुई है।

दलेर मेहंदी की संगीत यात्रा और सामाजिक योगदान उन्हें भारतीय पॉप संगीत के अग्रणी व्यक्तित्वों में से एक बनाते हैं, और उनकी विरासत आने वाली पीढ़ियों तक जीवित रहेगी।

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