परिचय
मनोज वाजपेयी एक भारतीय फिल्म अभिनेता है जो मुख्य रूप से हिंदी सिनेमा में काम करते है लेकिन तेलुगू और तमिल भाषा की फिल्म भी कर चुके हैं । वह दो राष्ट्रीय फिल्म पुरस्कार और चार फिल्मफेयर पुरस्कार प्राप्तकर्ता हैं ।
बिहार में जन्म
बाजपेयी का जन्म बिहार के पश्चिम चंपारण शहर के नरकटियागंज के पास बेलवा नामक एक छोटे से गांव में 23 अप्रैल 1 9 6 9 को हुआ था।
जिंदगी और परिवार
वह अपने पांच अन्य भाई बहनों में दूसरे स्थान पर है। माता -पिता ने उनका नाम अभिनेता मनोज कुमार के नाम पर रखा गया था। उनके पिता एक किसान थे और उनकी मां एक गृहिणी थीं ।उनकी छोटी बहनों में से एक पूनम दुबे, फिल्म उद्योग में एक फैशन डिजाइनर है। । बचपन में छुट्टियों के दौरान वे खेती में अपने पिता का हाथ बटाते थे । हांलांकि बचपन से, वह एक अभिनेता बनना चाहते थे ।
शिक्षा
प्राथमिक शिक्षा
पैसे की कमी के कारण उन्होंने चौथे मानक तक “झोपड़ी स्कूल” में अध्ययन किया, और बाद में में अपनी मूल स्कूली शिक्षा नरकटियागंज से की ।
उच्च शिक्षा
उन्होंने बेतीया के महारानी जानकी कॉलेज से अपनी 12 वीं कक्षा की पढाई पूरी की । वह सत्रह वर्ष की उम्र में नई दिल्ली चले गए और पहले सत्यवाटी कॉलेज गए, फिर दिल्ली विश्वविद्यालय के रामजस कॉलेज से अपनी उच्च शिक्षा हासिल की ।
नेशनल स्कूल ऑफ ड्रामा
वाजपेयी ने ओम पुरी और नसीरुद्दीन शाह जैसे अभिनेताओं से नेशनल स्कूल ऑफ ड्रामा के बारे में सुना था, इसलिए उन्होंने नेशनल स्कूल ऑफ ड्रामा के लिए आवेदन किया। उन्हें तीन बार खारिज कर दिया गया था ।
बैरी जॉन की कार्यशाला थिएटर
अपनी असफलता से वो पूरी तरह से निराश थे इसी बिच वो अभिनेता रघुबीर यादव के संपर्क में आये । रघुबीर ने उन्हें कोच बैरी जॉन की कार्यशाला के बारे में बताया । वाजपेयी के अभिनय से प्रभावित, जॉन ने उन्हें अपनी सहायता करने के लिए एक सहायक के तौर पर काम पर रखा।
धारावाहिक
मनोज को पहला बिग ब्रेक महेश भट्ट ने दिया ।उन्होंने मनोज को अपने धारावाहिक स्वाभिमान के लिए कास्ट किया
फ़िल्मी करियर
(1 99 4) में बाजपेयी ने अपनी फ़िल्मी सफर की शुरुआत द्रोहकाल में एक मिनट की भूमिका के साथ की, और शेखर कपूर की बैंडिट क्वीन एक डाकू की मामूली भूमिका निभाई। कुछ अनजान भूमिका जैसे तमन्ना दस्तक के बाद, उन्होंने राम गोपाल वर्मा की 1 99 8 में आयी एक गैंगस्टर ड्रामा में गैंगस्टर भिकु म्हात्रे के चरित्र को जिया ,जो एक सफल फिल्म साबित हुई। इस फिल्म के लिए वाजपेयी को सर्वश्रेष्ठ सहायक अभिनेता का फिल्मफेयर क्रिटिक अवार्ड और राष्ट्रीय फिल्म पुरस्कार मिला। उसके बाद उन्होंने कौन (1 999) और शुल (1 999) जैसी फिल्मों में अभिनय किया। शुल के लिए उन्होंने सर्वश्रेष्ठ अभिनेता के लिए अपना दूसरा फिल्मफेयर क्रिटिक अवार्ड का पुरस्कार जीता। बाजपेयी ने जुबेदा (2001) में दो पत्नियों के साथ एक राजकुमार की भूमिका निभाई, वहीँ अक्स (2001) में एक सीरियल किलर और रोड (2002) में एक -मनोविज्ञान हत्यारा की भूमिका था।
नाकाम
बाजपेयी ने पिंजर (2003) के लिए विशेष जूरी राष्ट्रीय पुरस्कार जीता। इसके बाद की फिल्मों में संक्षिप्त, अनजान भूमिकाओं की एक श्रृंखला थी जो उनके करियर को आगे बढ़ाने में नाकाम रही।
राजनीती
उसके बाद उन्होंने राजनीतिक थ्रिलर राजनीती (2010) में एक लालची राजनेता का किरदार निभाया , जिसने मनोज के ढलते हुए करियर में मनो एक नयी जान फूँक दी । 2012 में, वाजपेयी ने गैंग्स ऑफ वासेपुर में सरदार खान की भूमिका निभाई जिसे दर्शकों ने बहुत पसंद किया ।
चक्रवर्ह (2012) में उनकी अगली भूमिका एक नक्सली की थीं,जिसे दर्शको ने नकार दिया । मनोज ने अपनी अगली फिल्म नीरज पांडेय की स्पेशल 26 (2013) की जिसमे उनकी भूमिका एक सीबीआई अधिकारी की थी । 2016 में, उन्होंने हंसल मेहता के नाटक अलीगढ़ में प्रोफेसर रामचंद्र सिरस को चित्रित किया, जिसके लिए उन्होंने सर्वश्रेष्ठ अभिनेता के लिए अपना तीसरा फिल्मफेयर क्रिटिक पुरस्कार और 2016 एशिया प्रशांत स्क्रीन पुरस्कारों में सर्वश्रेष्ठ अभिनेता पुरस्कार जीता ।
2108 में नीरज पांडेय की नाम शबाना और मिलाप झावेरी की सत्यमेव जयते सरीखी थ्रिलर फिल्में की और साथ में तब्बू के साथ भी एक फिल्म की । बिच न-बिच में उन्हों ट्रफिक ,स्वामी आदि शार्ट फिल्में भी की