शारदा सिन्हा (जन्म 1 अक्टूबर 1952) एक प्रमुख भारतीय गायिका हैं, जो विशेष रूप से मैथिली और भोजपुरी भाषा में लोक और शास्त्रीय संगीत के लिए जानी जाती हैं। उन्होंने क्षेत्रीय संगीत में महत्वपूर्ण योगदान दिया है और बिहार की पारंपरिक धरोहर को संजोने में अहम भूमिका निभाई है।
उपलब्धियां
- पद्म श्री पुरस्कार (1991): संगीत के क्षेत्र में उनके उत्कृष्ट योगदान के लिए सम्मानित।
- पद्म भूषण पुरस्कार (2018): गणतंत्र दिवस की पूर्व संध्या पर भारत का तीसरा सर्वोच्च नागरिक सम्मान।
प्रारंभिक जीवन और पृष्ठभूमि
शारदा सिन्हा का जन्म सुपौल जिले के हुलास में हुआ था, और उनका ससुराल बेगूसराय जिले के सिहामा गाँव में है। उन्होंने अपने करियर की शुरुआत मैथिली लोक गीतों से की और भोजपुरी, मगही और हिंदी गीतों में भी अपनी पहचान बनाई।
प्रयाग संगीत समिति द्वारा आयोजित बसंत महोत्सव (इलाहाबाद) में उनकी प्रस्तुति उल्लेखनीय है, जहां उन्होंने बसंत ऋतु के आगमन को लोक गीतों के माध्यम से खूबसूरती से प्रस्तुत किया। शारदा सिन्हा छठ पूजा के उत्सवों में नियमित रूप से अपने भक्ति गीतों से चार चांद लगाती हैं।
प्रमुख प्रस्तुतियाँ और योगदान
- बिहार उत्सव (2010) में प्रगति मैदान, नई दिल्ली में प्रस्तुति।
- मॉरीशस के प्रधानमंत्री नवीन रामगुलाम की बिहार यात्रा के दौरान विशेष प्रस्तुति।
- बॉलीवुड फिल्मों में गाए गए गीत:
- काहे तो से सजना (मैंने प्यार किया, 1989)
- तार बिजली (गैंग्स ऑफ वासेपुर पार्ट 2)
- कौन सी नगरिया (चार फुटिया छोकरा)
शारदा सिन्हा और छठ पूजा
शारदा सिन्हा छठ पूजा के भक्ति गीतों के लिए जानी जाती हैं। एक दशक के अंतराल के बाद, उन्होंने 2016 में दो नए छठ गीत रिलीज किए, जिनमें सुपावो ना मिले माई और पहिले पहिल छठी मइया शामिल हैं। इन भक्ति गीतों की मधुरता आज भी भक्तों को छठ के दौरान जोड़ती है।
प्रसिद्ध छठ गीत
- केलवा के पात पर उगलन सूरज मल झाके झुके
- हे छठी मइया
- हो दीनानाथ
- बहंगी लचकत जाये
- सुना छठी माई
शारदा सिन्हा ने अब तक टी-सीरीज़, एचएमवी और टिप्स द्वारा जारी 9 एल्बमों में 62 छठ गीत गाए हैं। उनके गीतों के माध्यम से उन्होंने बिहार की समृद्ध संस्कृति और परंपरा को संरक्षित करने का प्रयास किया है।
फिल्मों और अन्य प्रोजेक्ट्स
छठ गीतों के अलावा, शारदा सिन्हा ने कई बॉलीवुड फिल्मों के लिए भी अपनी आवाज़ दी है, जैसे:
- काहे तो से सजना (मैंने प्यार किया)
- हम आपके हैं कौन के गीत
- तार बिजली (गैंग्स ऑफ वासेपुर पार्ट II)
- चार फुटिया छोकरा और देशवा के गीत।
अपनी संगीत यात्रा के माध्यम से शारदा सिन्हा ने बिहार की लोक परंपराओं को जीवंत रखा है, और उन्हें आधुनिक दर्शकों से जोड़ने में भी कामयाब रही हैं।
निष्कर्ष
शारदा सिन्हा का लोक और शास्त्रीय संगीत के क्षेत्र में योगदान अद्वितीय है। बिहार की समृद्ध सांस्कृतिक धरोहर को प्रस्तुत करने में उनकी महत्वपूर्ण भूमिका रही है। उनके गीत न केवल क्षेत्रीय संगीत में एक पहचान स्थापित करते हैं, बल्कि बॉलीवुड में भी उनकी मधुर आवाज़ ने अमिट छाप छोड़ी है।