Friday, November 8, 2024

छोटी पटन देवी : सती की पीठ का अंश गिरने से बना सिद्धपीठ, तीनों रूपों में होती है मां की आराधना

छोटी पटन देवी मंदिर पटना के चौक इलाके में स्थित एक अत्यंत प्राचीन और पूजनीय स्थल है। यहां सदियों से मां के तीन रूपों की आराधना होती आई है। इस मंदिर का धार्मिक और ऐतिहासिक महत्व समय के साथ और भी बढ़ता गया है, खासकर चैत्र नवरात्र के दौरान यहां भारी संख्या में भक्तजन एकत्रित होते हैं।

धार्मिक महत्ता और कुमारी पूजन

छोटी पटन देवी मंदिर में हर साल चैत्र नवरात्र के अवसर पर विशेष आयोजन किए जाते हैं। इस दौरान मंदिर में भक्तों की भारी भीड़ उमड़ती है, और मंदिर के आचार्यों के अनुसार, विशेष रूप से कुमारी पूजन के समय श्रद्धालुओं का तांता लगा रहता है। कुमारी पूजन इस मंदिर की प्रमुख परंपराओं में से एक है, जिसमें कुमारी कन्याओं को देवी का रूप मानकर पूजा जाता है। इस अनुष्ठान में भाग लेने के लिए श्रद्धालु दूर-दूर से आते हैं, जिससे यहां की धार्मिक महत्ता और भी बढ़ जाती है।

ऐतिहासिक दृष्टिकोण

छोटी पटन देवी मंदिर कभी पटना की मुख्य पीठासीन देवी का स्थान रखता था। हालांकि, समय के साथ इस मंदिर को ‘छोटी’ पटन देवी कहा जाने लगा और इसे बड़ी पटन देवी के बाद दूसरा स्थान प्राप्त हुआ। फिर भी, इतिहासकार बुकानन ने उल्लेख किया है कि 18वीं और 19वीं शताब्दी में यह मंदिर ही पटना की प्रमुख देवी के रूप में प्रतिष्ठित था।

मंदिर की प्राचीनता पर चर्चा करें तो वर्तमान मंदिर अत्यंत प्राचीन प्रतीत नहीं होता, लेकिन इसके अंदर की मूर्तियों के बारे में मान्यता है कि इन्हें मुगल सेनापति मान सिंह ने स्थापित किया था। यहां गणेश, विष्णु और सूर्य देव की मूर्तियां भी विद्यमान हैं, जो ब्राह्मणवादी परंपरा का हिस्सा मानी जाती हैं। मंदिर के परिसर में कई खंडित मूर्तियां और संरचनाएं भी देखने को मिलती हैं, जिनमें एक प्रभावशाली लेकिन टूटी हुई सूर्य मूर्ति प्रमुख है। इतिहासकारों का मत है कि 9वीं से 11वीं शताब्दी के दौरान इस स्थान पर कुछ प्रारंभिक मंदिर बने थे, जो कालांतर में नष्ट हो गए, और बाद में मान सिंह द्वारा पुनर्स्थापित किए गए। हालांकि, इस संबंध में प्रामाणिक जानकारी का अभाव है।

महत्वपूर्ण त्यौहार और धार्मिक अनुष्ठान

छोटी पटन देवी मंदिर का धार्मिक महत्व विभिन्न त्यौहारों और अनुष्ठानों के माध्यम से और भी उभर कर आता है। यहां विजयादशमी के अवसर पर बड़ा मेला आयोजित होता है, जिसमें हजारों की संख्या में भक्त सम्मिलित होते हैं। दुर्गा पूजा के समय, विशेष रूप से सप्तमी, अष्टमी और नवमी के दिन, यहां भक्तों की भारी भीड़ देखी जाती है। पूजा-अर्चना के दौरान भक्त मिठाई, माला और फल लेकर देवी के समक्ष अर्पित करते हैं। मंदिर के पुजारी द्वारा प्रसाद का वितरण किया जाता है, जिसमें कुछ अंश भक्तों को वापस भी मिलता है। आरती और मंत्रोच्चारण के साथ भक्तों का उत्साह चरम पर होता है।

दैनिक पूजा-अर्चना और अनुष्ठान

मंदिर में नियमित रूप से सुबह और शाम देवता का स्नान कराया जाता है। इसके बाद, भक्तों द्वारा लाए गए प्रसाद का भोग लगाया जाता है। इसके बाद घंटियों की मधुर ध्वनि और मंत्रोच्चारण के साथ आरती की जाती है। इस धार्मिक अनुष्ठान में मंदिर के पुजारी भक्तों को आशीर्वाद देते हैं और माथे पर रोरी (लाल पाउडर) लगाते हैं।

वहां पहुँचने के साधन

छोटी पटन देवी मंदिर पटना के प्रमुख धार्मिक स्थलों में से एक है, और यहां तक पहुंचना बेहद सरल है। यह मंदिर पटना बस स्टेशन से आसानी से पहुंचा जा सकता है और पटना जंक्शन रेलवे स्टेशन से लगभग 10 किलोमीटर दूर स्थित है। इसके अलावा, गुलज़ारबाग और पटना सिटी रेलवे स्टेशन से भी मंदिर तक पहुंचने के लिए रिक्शा और टैक्सी उपलब्ध रहती हैं। पटना शहर के विभिन्न कोनों से यह मंदिर एक प्रमुख धार्मिक स्थल के रूप में जुड़ा हुआ है, और नवरात्र के समय यहां विशेष बस और टैक्सी सेवाएं भी चालू रहती हैं।

छोटी पटन देवी मंदिर का धार्मिक और ऐतिहासिक महत्व, इसकी धार्मिक परंपराएं और सांस्कृतिक विरासत इसे एक महत्वपूर्ण धार्मिक स्थल के रूप में स्थापित करती हैं। भक्तों की आस्था और विश्वास का केंद्र यह मंदिर सदियों से अपने अद्वितीय स्वरूप और परंपराओं को संजोए हुए है, जो भविष्य में भी इसी श्रद्धा के साथ पूजित होता रहेगा।

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