Friday, October 18, 2024

गोगाबिल झील: बिहार का 15वां संरक्षण क्षेत्र और राज्य का पहला सामुदायिक आरक्षित क्षेत्र

गोगाबिल बिहार का 15वां संरक्षित क्षेत्र और राज्य का पहला सामुदायिक आरक्षित क्षेत्र है। इसे 2 अगस्त 2019 को राज्य वन्यजीव बोर्ड द्वारा वन्यजीव (संरक्षण) अधिनियम 1972 के तहत सामुदायिक संरक्षण क्षेत्र के रूप में मान्यता दी गई। गोगाबिल, बाघरबील और बलदिया चौर को एशिया के महत्वपूर्ण पक्षी क्षेत्रों (IBA) की सूची में शामिल किया गया है।

यह झील लगभग 1 से 5 किलोमीटर के आकार का एक आदर्श आक्सबो झील (मियान) है, जिसमें साल भर पर्याप्त जल मौजूद रहता है। गोगाबिल की भूमि और जल क्षेत्र 217 एकड़ में फैला हुआ है, जिसमें से 73.78 एकड़ सरकारी भूमि है और बाकी का हिस्सा स्थानीय समुदाय के अधीन है, जो कटिहार जिले के अमदाबाद और मनिहारी प्रखंड में स्थित है। मानसून के दौरान कंकहर, महानंदा और गंगा नदियों से जल प्रवाह के कारण क्षेत्र में हर साल भारी बाढ़ आती है। यह झील समृद्ध जलीय वनस्पति और जीवों का घर है, जो सर्दियों के मौसम में प्रवासी पक्षियों को आकर्षित करती है। झील लगभग 130 प्रजातियों के पक्षियों का आवास प्रदान करती है, जिनमें से लगभग 30 प्रजातियाँ प्रवासी हैं। वैश्विक स्तर पर 13 पक्षी मार्ग हैं, जिनमें से दो—सेंट्रल एशियन और साउथ एशियन—बिहार से होकर गुजरते हैं।

गोगाबिल के समक्ष वास्तविक और संभावित खतरे

पिछले कुछ दशकों में झील का जलक्षेत्र घटता जा रहा है, जिसका मुख्य कारण सिल्ट (गाद) का जमाव है। इसके अलावा, कृषि में अत्यधिक रासायनिक उर्वरकों और कीटनाशकों के उपयोग से पानी में प्रदूषण की समस्या बढ़ रही है, जिससे झील के फाइटोप्लैंकटन और जूप्लैंकटन पर असर पड़ रहा है और पक्षियों के लिए जल का विषैला स्तर बनता जा रहा है।

प्लास्टिक, पॉलिथीन, थर्मोकोल, धातु, डिटर्जेंट, केरोसिन, मोबिल और अन्य गैर-बायोडिग्रेडेबल पदार्थों के कारण भी झील में प्रदूषण बढ़ता जा रहा है।

वाहनों, पंप सेटों, लाउडस्पीकर्स और सामाजिक कार्यक्रमों के कारण ध्वनि प्रदूषण हो रहा है, जो पक्षियों के निवास स्थल की शांति को भंग कर रहा है।

इसके अतिरिक्त, सड़क, पुल, चेकडैम, पावर ग्रिड, ट्रांसमिशन लाइनों और मोबाइल टावर जैसी निर्माण परियोजनाओं के कारण झील के क्षेत्र में नुकसान हो रहा है। मछली पकड़ने की गतिविधियाँ और शिकार भी पक्षियों के लिए गंभीर खतरे पैदा कर रहे हैं।

गोगाबिल झील, जो बिहार के पक्षी प्रेमियों और संरक्षणवादियों के लिए एक महत्वपूर्ण स्थल है, अब मानव और पर्यावरणीय हस्तक्षेप के कारण खतरे का सामना कर रही है, जिसे रोकने के लिए तत्काल कदम उठाने की आवश्यकता है।

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