इन्द्रपुरी बाँध (Indrapuri Dam) बिहार के रोहतास जिले में स्थित सोन नदी पर बना एक महत्वपूर्ण जल संसाधन है। 1960 के दशक में शुरू हुआ इस बाँध का निर्माण 1968 में पूरा हुआ था, और तब से यह बिहार के कृषि और सिंचाई में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहा है। सोन नदी, जिसका स्रोत मध्य प्रदेश के अमरकंटक के पास है, बिहार के कई जिलों को जल की आपूर्ति करती है। इन्द्रपुरी बाँध न केवल एक सिंचाई परियोजना है, बल्कि यह बाढ़ नियंत्रण और पर्यटन के लिहाज से भी महत्वपूर्ण है।
सोन नदी: भौगोलिक विस्तार और महत्त्व
सोन नदी का स्रोत मध्य प्रदेश के अमरकंटक में है और यह उत्तर-पश्चिम में बहते हुए कैमूर पर्वत श्रेणी से टकराती है। इसके बाद यह पूर्व-उत्तर-पूर्व दिशा में उत्तर प्रदेश, झारखंड, और बिहार होते हुए पटना के पास मनेर में गंगा नदी से मिलती है। सोन नदी का जल बिहार और झारखंड के कई हिस्सों के लिए जीवनरेखा के रूप में कार्य करता है, क्योंकि यह खेती और पीने के पानी की आपूर्ति का प्रमुख स्रोत है। इन्द्रपुरी बाँध सोन नदी के जल संसाधनों को नियंत्रित करने और सिंचाई की जरूरतों को पूरा करने के उद्देश्य से बनाया गया था।
इन्द्रपुरी बाँध: संरचना और निर्माण का इतिहास
इन्द्रपुरी बाँध की कुल लंबाई 1,407 मीटर (4,616 फीट) है, जो इसे दुनिया के सबसे लंबे बाँधों में से एक बनाती है। यह दुनिया का चौथा सबसे लंबा बैराज है। इसका निर्माण उसी कंपनी ने किया था जिसने फरक्का बाँध का निर्माण किया था, जो दुनिया का सबसे लंबा बैराज है। 1873-74 में सोन नदी पर डेहरी के पास एक एनीकट बनाया गया था, जो देश की सबसे पुरानी सिंचाई प्रणालियों में से एक है। बाद में, इस एनीकट से 8 किमी ऊपर इन्द्रपुरी बाँध का निर्माण किया गया, जिसने जल संसाधन को अधिक कुशल और प्रभावी बना दिया।
सिंचाई प्रणाली और कृषि पर प्रभाव
इन्द्रपुरी बाँध की सिंचाई प्रणाली अत्यंत विस्तृत है, जिसमें 209 मील की मुख्य नहरें, 149 शाखा नहरें, और 1,235 वितरितियां शामिल हैं। ये नहरें बिहार और झारखंड के विशाल क्षेत्रों को जल की आपूर्ति करती हैं, जिससे कृषि की उत्पादकता में वृद्धि हुई है। दो संपर्क नहरों ने नए जलाशय को पुराने सिंचाई तंत्र से जोड़ा, जिससे खेतों को जल की आपूर्ति सुनिश्चित की जा सकी। इस प्रणाली ने भूमि के बड़े हिस्से को कृषि के लिए अत्यधिक उपजाऊ बना दिया है, जिससे किसानों की आय में वृद्धि हुई है और क्षेत्र में हरित क्रांति लाई है।
भविष्य की योजनाएं
इन्द्रपुरी बाँध के साथ-साथ, झारखंड के गढ़वा जिले के कदवन और बिहार के रोहतास जिले के मटिवान के बीच सपूत नदी पर एक और बाँध के निर्माण का प्रस्ताव है। यह प्रस्तावित बाँध क्षेत्र में जल आपूर्ति को और बढ़ाएगा और सिंचाई के लिए अतिरिक्त संसाधन प्रदान करेगा। इससे आसपास के क्षेत्रों में कृषि उत्पादन को और बढ़ावा मिलेगा और जल संकट से जूझ रहे किसानों को राहत मिलेगी।
प्राकृतिक सौंदर्य और पर्यटन का केंद्र
इन्द्रपुरी बाँध का क्षेत्र न केवल जल संसाधन के लिहाज से महत्वपूर्ण है, बल्कि इसका प्राकृतिक सौंदर्य भी अद्वितीय है। सोन नदी की लहरों के साथ खिलखिलाते हुए बाँध का दृश्य अत्यंत मनमोहक होता है। यह बाँध अपने नैसर्गिक आकर्षण के कारण पर्यटकों के लिए भी एक बड़ा आकर्षण है। शांत वातावरण और सुरम्य दृश्य इसे एक आदर्श पर्यटन स्थल बनाते हैं, जहां लोग प्रकृति के सान्निध्य का आनंद ले सकते हैं।
निष्कर्ष
इन्द्रपुरी बाँध बिहार की जल संसाधन प्रबंधन की उत्कृष्टता का प्रतीक है। इसके निर्माण ने राज्य के किसानों को निरंतर जल आपूर्ति दी, जिससे क्षेत्र में कृषि और आर्थिक विकास को बढ़ावा मिला। इस बाँध का न केवल स्थानीय किसानों के लिए बल्कि बिहार की समग्र कृषि व्यवस्था में भी बड़ा योगदान है। भविष्य में इस बाँध से जुड़े विकास कार्य इसे और अधिक उपयोगी और प्रभावशाली बनाएंगे।