भारत का पहला और एशिया का सबसे विशालतम रेल इंजन कारखाना जमालपुर में है। ब्रिटिश सरकार ने हिन्दुस्तान में अपने व्यापार को बढ़ाने के लिए इंजन वाली ट्रेन को भारत में चलाना शुरू किया था।
इसी सोच के कारण 8 फरवरी 1862 ई. में कोलकाता बंदरगाह से 500 किलोमीटर दूर जमालपुर में रेल इंजन कारखाने की नींव डाली गई थी। इस दौरान सबसे पहले पटरियां बिछाकर और बरियाकोल सुरंग तैयार किया था। कारखाने में इंजन बनाने से लेकर मेंटेनेंस करने सहित अन्य कार्य शुरू किया गया था।
1890 तक कारखाना 50 एकड़ के दायरे में था। इसमें 3122 मजदूर कार्यरत थे।
1896-97 में जब ईस्ट इंडिया कंपनी का काम तेजी से फैला तो पहली बार विस्तारीकरण की गई। शेड विहीन शॉपों को शेड प्रदान किया गया और आधुनिक मशीनों से लैस किया गया। धीरे-धीरे कारखाने का विस्तार होता गया और 1893 में प्रथम रेल फाउंड्री स्थापित की गई थी।
जब अँगरेज़, जमालपुर को भारत की राजधानी बनाना चाहते थे ।
1899 से 1923 तक 216 वाष्प इंजन निर्माण, जमालपुर कारखाना में पहली बार उच्च क्षमता वाले इलेक्ट्रिक जैक, टिकट प्रिंटिंग, टिकट चॉपिंग, टिकट स्लाइडिंग और टिकट काउंटिंग की मशीन निर्माण किया गया था।
1939 में द्वितीय विश्वयुद्ध में गोला बारूद सहित हथियारों का भी निर्माण यहाँ सुरक्षित किया गया था|
योगनगरी मुंगेर में घूमने योग्य पर्यटन स्थल
1960 में कम क्षमता वाली वाष्प क्रेन निर्माण शुरू किया, फिर 2 से 140 टन के 200 क्रेन बनाया।
1961 पहली बार में ढ़लाई द्वारा इस्पात के उत्पादन के लिए निर्मित 1/2 टन क्षमता वाली विधुत अर्क भट्टी का निर्माण हुआ था। । यह कारखाना भारतीय रेल का अकेला क्रेन निर्माता है।
1986 में जर्मनी की गोटवाल कंपनी को स्वदेशी तकनीक से हाइड्रोलिक क्रेन निर्माण कर आज भी यह कारखाना देश व दुनिया की शान है