मधुबनी जिला मुख्यालय से दस किलोमीटर दूर रहिका प्रखंड के नाजिरपुर पंचायत का जितवारपुर गांव आज किसी परिचय का मोहताज नहीं है। मात्रा 670 परिवारों के इस गांव का इतिहास गौरवशाली है। और हो भी क्यों न,दरअसल इस गांव की तीन कलाकारों को पद्मश्री से सम्मानित किया जा चुका है। देश के इतिहास में यह पहली मिसाल है जब एक ही गांव को तीन पद्मश्री मिले हों।
जहाँ सिद्धहस्त शिल्पी मिथिला आर्ट सीता देवी और जगदम्बो देवी को पूर्व में इस सम्मान से नवाजा गया था , बौआ देवी को यह सम्मान पिछले साल मिल चुका है.गांव के हर घर में यह कला रचती-बसती है। गांव के हर समुदाय के लोगों में कला कूट-कूट कर भरी हुई है।
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मिथिला आर्ट और कल्चर को करीब से जानने वाली पत्रकार कुमुद सिंह कहती हैं मिथिला स्कूल आफ आर्ट को संरक्षित करने में जो भाूमिका इस गांव की महिलाओं की रही है वो अतुल्यनीय है। कला को संरक्षित करने में जितवारपुर की महिलाओं ने अपना पूरा जीवन सौंप दिया,
पूरा जितवारपुर गांव ही मिथिला पेंटिंग और गोदना पेंटिंग विधा में माहिर है। लगभग छह सौ से अधिक लोग इस कला से जुड़कर देश-विदेशों में अपना नाम रोशन कर चुके हैं।
हमें गर्व है इस गाँव और इस गाँव के लोगो पर जिन्होंने अपना सर्वस्त्र इस कला के लिए समर्पित कर दिया |