बिहार के उत्तर-पूर्वी क्षेत्र में स्थित खगड़िया जिला ने अपने 44वें वर्ष में प्रवेश किया है। 0 मई 1981 को मुंगेर से अलग होकर जिला बना था, और तब से यह अपने विकास के पथ पर अग्रसर है। खगड़िया को “नदियों का नैहर” कहा जाता है, क्योंकि यहां सात नदियों और 54 धारा-उपधारा से घिरा हुआ है। यहां के प्राकृतिक संसाधनों और ऐतिहासिक महत्व का मिश्रण इसे अद्वितीय बनाता है।
कब और किस वजह से खगड़िया ज़िला अस्तित्व में आया
खगड़िया जिले को 10 मई 1981 को मुंगेर, भागलपुर, पूर्णिया और सहरसा जिलों से अलग कर बनाया गया था। जिले का गठन बिहार सरकार द्वारा सत्ता का विकेंद्रीकरण करने और छोटी प्रशासनिक इकाइयों का निर्माण करके शासन में सुधार करने के एक बड़े प्रयास का हिस्सा था। .
जिले के गठन से पहले, जो क्षेत्र अब खगड़िया है, वह मुंगेर के बड़े जिले का हिस्सा था। एक अलग जिले की मांग स्थानीय नेताओं और राजनेताओं द्वारा उठाई गई थी जिन्होंने तर्क दिया था कि यह क्षेत्र सरकार द्वारा अविकसित और उपेक्षित था।
वर्षों के आंदोलन और पैरवी के बाद, बिहार सरकार आखिरकार एक नया जिला बनाने के लिए सहमत हुई, और 10 मई 1981 को खगड़िया को एक अलग जिले के रूप में आधिकारिक तौर पर उद्घाटन किया गया। नए जिले का नाम खगड़िया शहर के नाम पर रखा गया, जिसे जिला मुख्यालय के रूप में चुना गया था
खगड़िया जिला का एक महत्वपूर्ण विशेषता है उसकी नदियां
खगड़िया जिला का एक महत्वपूर्ण विशेषता है उसकी नदियां। कोसी, काली कोसी, करेह, कमला, बागमती, गंगा, और बूढ़ी गंडक जैसी नदियां इस जिले से होकर गुजरती हैं। यहां की समृद्धि और संवेदनशीलता का स्रोत नहीं सिर्फ नदियों में है, बल्कि इन नदियों के किनारे स्थित प्राचीन तीर्थस्थलों और शक्तिपीठों में भी है। बागमती और कोसी नदी के तट पर स्थित माँ कात्यायनी स्थान एक प्रसिद्ध शक्तिपीठ है
मक्का और दूध का अद्भुत उत्पादन करता है यह ज़िला
जिले का कृषि और पशुपालन मुख्य स्रोत है, जिसमें मक्का और दूध का उत्पादन महत्वपूर्ण योगदान देते हैं। यहां की आठ नदियां, जिनमें से एक दूध की नदी है, भूमि को फलदायक बनाती हैं। खगड़िया अपने महेशखुटिया पान, मैंगो ग्राम, फर्रेह ग्राम, और तेलौंछ सब्जी ग्राम के प्रसिद्धीकरण से भी जाना जाता है।
विकास की संभावनाएँ
इस जिले का विकास अभी भी कुछ क्षेत्रों में संभव है, जैसे कि उद्योग और पर्यटन। मक्का आधारित उद्योगों के अलावा, पर्यटन के क्षेत्र में भी अधिक निवेश की आवश्यकता है। जिले में स्थित कात्यायनी स्थान – एक प्रसिद्ध शक्तिपीठ मुगलकालीन ऐतिहासिक भरतखंड और अघोरी स्थल भी पर्यटकों की आकर्षण का केंद्र बन सकते हैं।इतने नदियों का संगम होने की वजह से यहाँ पटना की भाँति नदी के किनारों पर भी विकास करके टूरिज्म को डेवलप किया जा सकता है
अंत में
खगड़िया जिला ने अपने 43वें वर्ष में एक नया अध्याय शुरू किया है। अगर सरकार और जान प्रतिनिधि इस ज़िले पर ध्यान दे तो यह जिला न केवल अपनी अद्वितीय पहचान बढ़ाएगा, बल्कि पूरे राज्य के विकास में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगा।यहां की विकास यात्रा अब आगे बढ़ती रहेगी, और नए उत्साही कदम लिए जाएंगे, जो जिले को नई ऊंचाइयों तक पहुंचाएगा।
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FAQ ABOUT KHAGARIA
कोसी, काली कोसी, करेह, कमला, बागमती, गंगा, और बूढ़ी गंडक जैसी नदियां इस जिले से होकर गुजरती हैं।
मुंगेर से खगड़िया कब अलग हुआ था?
10 मई 1981 को मुंगेर से अलग होकर खगड़िया जिला बना था। खगड़िया को जिला बने 40 वर्ष पूरे हो गए हैं।
खगड़िया जिला में कितने और कौन कौन प्रखंड है?
खगड़िया जिला में 7 प्रखंड है?
अलौली
खगड़िया
चौथम
मानसी
गोगरी
बेलदौर
परबत्ता
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