कोसी बैराज नेपाल के मिथिला क्षेत्र में कोसी नदी पर स्थित एक बाँध है, जो मधेश प्रदेश और कोसी प्रदेश को जोड़ता है। यह बैराज पैदल यात्रियों, साइकिल सवारों, और वाहनों के लिए एक प्रमुख मार्ग है और भारत-नेपाल अंतरराष्ट्रीय सीमा के नजदीक स्थित है। 1958 से 1962 के बीच इसे 56 फाटकों के साथ बनाया गया था, और इसका निर्माण ‘जोसेफ एंड कंपनी लिमिटेड’, भारत द्वारा किया गया था। इस परियोजना का उद्देश्य कोसी नदी पर नियंत्रण रखना था, जिसका भारत और नेपाल सरकारों के बीच 25 अप्रैल, 1954 को हस्ताक्षरित ‘कोसी समझौते’ के तहत निर्माण हुआ था।
2017 की बाढ़
कोसी बैराज हर साल नेपाल के तराई और भारत के बिहार क्षेत्रों में बाढ़ और जलभराव का कारण बनता है। इस बाढ़ का प्रभाव विशेष रूप से बिहार के सुपौल, सहरसा, मधेपुरा, और पूर्णिया जिलों पर होता है। कोसी नदी को “बिहार का शोक” भी कहा जाता है, क्योंकि इसके वार्षिक बाढ़ से लगभग 21,000 वर्ग किलोमीटर (8,100 वर्ग मील) उपजाऊ कृषि भूमि प्रभावित होती है। इससे ग्रामीण अर्थव्यवस्था गंभीर रूप से बाधित होती है। कोसी नदी का औसत जल प्रवाह लगभग 2,166 घन मीटर प्रति सेकंड (76,500 घन फीट प्रति सेकंड) है, जो इसे सबसे प्रमुख और विनाशकारी नदियों में से एक बनाता है।
2008 की बाढ़
अगस्त 2008 में, कोसी बैराज के पूर्वी तटबंध नेपाल-भारत सीमा के उत्तर में टूट गए। इस घटना के कारण नेपाल में कई मील की उपजाऊ कृषि भूमि बर्बाद हो गई और यह बाढ़ नेपाल में 53,800 लोगों को प्रभावित करने वाली थी। नदी के रेत से ढके क्षेत्र ने वहां की कृषि संभावनाओं को भी समाप्त कर दिया। वहीं, भारत के बिहार राज्य में इस बाढ़ ने लगभग 30 लाख लोगों को बेघर कर दिया। यह त्रासदी आज भी नेपाल और बिहार की सबसे भीषण आपदाओं में से एक मानी जाती है।
पर्यटन
कोसी बैराज के आसपास का क्षेत्र अपनी जैव विविधता के लिए प्रसिद्ध है। यहाँ गंगा की डॉल्फिन और ताजे पानी की विभिन्न मछलियाँ पाई जाती हैं। अगस्त से अक्टूबर के बीच यहाँ साइबेरियाई पक्षियों का आगमन भी होता है, जो इस क्षेत्र के पर्यटन को और आकर्षक बनाता है। लोग यहाँ बैराज के पास स्थित रेस्तरां में विभिन्न मछली व्यंजनों का स्वाद लेने और बैराज से दृश्यावलोकन करने आते हैं।
वायु परिवहन
राजबिराज हवाई अड्डा, जो बैराज से लगभग 26 किलोमीटर दूर है, इस क्षेत्र का निकटतम हवाई अड्डा है। यहाँ से श्री एयरलाइंस और बुद्धा एयर द्वारा काठमांडू के लिए दैनिक उड़ानें संचालित की जाती हैं, जो पर्यटकों और स्थानीय लोगों के लिए एक महत्वपूर्ण साधन है।
इस प्रकार कोसी बैराज का प्रभाव केवल बाढ़ नियंत्रण और जल निकासी तक ही सीमित नहीं है, बल्कि यह पर्यटन और परिवहन के लिए भी एक महत्वपूर्ण केंद्र है।
महत्वपूर्ण प्रश्न
कोसी नदी को ‘बिहार का शोक’ कहा जाता है क्योंकि यह अक्सर बाढ़ लाती है, जिससे आसपास के क्षेत्र में भारी नुकसान होता है।
कोसी और गंगा का संगम बिहार के कटिहार जिले में होता है। यह स्थान बिहार के जल संसाधनों और कृषि के लिए महत्वपूर्ण है।
कोसी नदी की लंबाई लगभग 720 किमी (450 मील) है।
कोसी नदी मुख्यतः बिहार राज्य से होकर बहती है, हालांकि इसका उद्गम तिब्बत में है और यह नेपाल से होकर गुजरती है।
जल निर्वहन की दृष्टि से गंगा की तीसरी सबसे बड़ी सहायक नदी कोसी है, जो घाघरा और यमुना के बाद आती है।