शीतला माता एक प्रसिद्ध हिंदू देवी हैं, जिनका प्राचीनकाल से विशेष महत्व रहा है। इनके पास सात बहनें हैं: दुर्गा, काली, चंडी, पलमति, बड़ी माता (चमरिया), और भानमती। स्कंद पुराण के अनुसार, शीतला देवी की सबसे बड़ी बहन देवी परमेश्वरी (चमरिया) हैं, जिन्हें बड़ी माता भी कहा जाता है।
शीतला माता मंदिर, जिसे शीतला देवी मंदिर के नाम से भी जाना जाता है, पटना शहर के मुख्य बाजार में, टॉवर चौक, देवघर के निकट स्थित है। यह मंदिर माँ दुर्गा के शक्ति पीठों में से एक माना जाता है, जहाँ भक्तगण माता की आराधना करते हैं। इस मंदिर की विशेषता यह है कि यहाँ के प्राचीन मूर्तियों की उपस्थिति भक्तों को अपनी ओर आकर्षित करती है।
मंदिर की विशेषताएँ
मंदिर की ऊँचाई भले ही कम है, लेकिन इसकी भव्यता और प्राचीन मूर्तियाँ इसे विशेष बनाती हैं। यहाँ भक्तगण घंटों बैठकर पूजा करते हैं, और माना जाता है कि यदि कोई सच्चे मन से यहाँ पूजा करता है, तो असाध्य रोग भी ठीक हो जाते हैं। शीतला माता की आराधना से न केवल शारीरिक रोगों का उपचार होता है, बल्कि यह सभी प्रकार की इच्छाओं को भी पूरा करने में सहायक मानी जाती है।
शीतला पूजा का उत्सव
हर वर्ष चैती महीने (अप्रैल) में शीतला पूजा का उत्सव धूमधाम से मनाया जाता है। इस अवसर पर भक्तों की बड़ी संख्या यहाँ इकट्ठा होती है और माता के प्रति अपनी श्रद्धा अर्पित करती है। यह उत्सव न केवल धार्मिकता का प्रतीक है, बल्कि सामुदायिक एकता और श्रद्धा का भी अद्भुत उदाहरण प्रस्तुत करता है।
सप्तमातृका की उपस्थिति
मंदिर में शीतला देवी की मूर्ति के साथ-साथ ‘सप्तमातृका’ (सात मातृका रूपों) के पिंड भी रखे गए हैं। इन मातृकाओं की पूजा करने से भक्तों को मानसिक और शारीरिक स्वास्थ्य की प्राप्ति होती है।
प्राचीन कलाकृतियाँ
इस स्थल पर कई प्राचीन और मध्यकालीन मूर्तियाँ पाई गई थीं, जिनमें से कम से कम एक मूर्ति मौर्य कला की है, जिसे यहाँ विशेष रूप से संरक्षित किया गया है। ये मूर्तियाँ मंदिर की सांस्कृतिक और ऐतिहासिक महत्व को दर्शाती हैं।
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