Monday, December 2, 2024

पटना में पादरी की हवेली या सेंट मैरी चर्च – बिहार पर्यटन

पादरी की हवेली

पादरी की हवेली, जिसे “सेंट मैरी चर्च” के नाम से भी जाना जाता है, पटना का सबसे पुराना और ऐतिहासिक चर्च है। यह धार्मिक स्थल 1713 में रोमन कैथोलिकों द्वारा स्थापित किया गया था, जो अपनी अद्वितीय वास्तुकला और ऐतिहासिक महत्व के कारण पर्यटकों और इतिहास प्रेमियों के बीच प्रसिद्ध है।

वास्तुकला और पुनर्निर्माण

चर्च का वर्तमान स्वरूप 1772 में वेनिस के वास्तुकार तिरेटो द्वारा पुनर्निर्मित किया गया था। इसमें गोथिक शैली की झलक मिलती है और इसकी संरचना में अद्भुत कारीगरी दिखाई देती है। इसकी दीवारें मजबूत और गहरी हैं, जो इसे शताब्दियों तक जीवित रखने में सक्षम बनी हैं।

इतिहास के हमले और क्षति

पादरी की हवेली को समय-समय पर आक्रमणों का सामना करना पड़ा। 1763 में नवाब मीर कासिम द्वारा किए गए हमले और 1857 के स्वतंत्रता संग्राम के दौरान इसे काफी क्षति पहुंचाई गई थी। लेकिन इसे फिर से बहाल किया गया और यह आज भी अपनी भव्यता में खड़ा है।

धार्मिक महत्त्व और महोत्सव

यह चर्च आज भी धार्मिक महत्त्व रखता है, और विशेष रूप से नए साल के दिन यहाँ मेले का आयोजन होता है। यह स्थल बिहार में ईसाई समुदाय के लिए श्रद्धा का प्रमुख केंद्र है।

पुरातात्विक महत्त्व

चर्च के निकट स्थित झील की खुदाई के दौरान प्राचीन ईंट की दीवारें पाई गईं, जिन्हें पाटलिपुत्र के अवशेष माना जाता है। इस खोज ने पादरी की हवेली को न केवल धार्मिक, बल्कि पुरातात्विक दृष्टि से भी महत्त्वपूर्ण बना दिया है।

पादरी की हवेली एक ऐतिहासिक और धार्मिक धरोहर है, जो अपने स्थापत्य कौशल और सांस्कृतिक महत्त्व के कारण पर्यटकों के लिए एक प्रमुख आकर्षण स्थल है। यह पटना के ऐतिहासिक स्थलों में अपनी खास जगह रखता है

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