पटना मेडिकल कॉलेज और अस्पताल (पीएमसीएच), बिहार की राजधानी पटना में स्थित एक प्रमुख चिकित्सा संस्थान है। अपनी स्थापना के बाद से यह कॉलेज न केवल चिकित्सा शिक्षा के क्षेत्र में उत्कृष्टता का प्रतीक बना हुआ है, बल्कि स्वास्थ्य सेवाओं में भी महत्वपूर्ण योगदान दे रहा है। भारत में मेडिकल शिक्षा की विरासत को सहेजते हुए, पीएमसीएच न केवल बिहार बल्कि पूरे देश के लिए गर्व का विषय है।
इतिहास और स्थापना
पीएमसीएच की स्थापना 25 फरवरी 1925 में “प्रिंस ऑफ वेल्स मेडिकल कॉलेज” के नाम से हुई थी। भारत में ब्रिटिश शासन के दौरान यह कॉलेज स्थापित किया गया था ताकि क्षेत्र में स्वास्थ्य सेवाओं को सुदृढ़ किया जा सके और योग्य चिकित्सकों का निर्माण हो सके। इसकी शुरुआत टेम्पल मेडिकल स्कूल के रूप में हुई, जो समय के साथ विकसित होकर पटना मेडिकल कॉलेज बन गया। इसकी विरासत और समृद्ध इतिहास इसे भारत के सबसे पुराने मेडिकल कॉलेजों में से एक बनाते हैं।
उद्देश्य और आदर्श वाक्य
पीएमसीएच का आदर्श वाक्य “सर्वे सन्तु निरामयाः” (सभी स्वस्थ रहें) संस्कृत भाषा में लिखा गया है। इस आदर्श वाक्य के माध्यम से यह संस्थान समाज के प्रति अपने दायित्व और स्वास्थ्य सेवा में योगदान के उद्देश्य को दर्शाता है। यहां के चिकित्सा कर्मी और छात्र इस आदर्श वाक्य को अपने जीवन में उतारने का प्रयास करते हैं, ताकि वे रोगियों की सेवा में सदा तत्पर रहें।
प्रमुख सुविधाएं और इन्फ्रास्ट्रक्चर
पीएमसीएच, गंगा नदी के दक्षिणी तट पर स्थित है और इसकी विशाल इमारतों का समूह अशोक राजपथ पर फैला हुआ है। इसमें 1748 से अधिक बेड की सुविधा है और इसमें अत्याधुनिक तकनीकों से सुसज्जित आपातकालीन वार्ड भी है, जिसे इंदिरा गांधी सेंट्रल इमरजेंसी (IGCE) कहा जाता है। यहां अतिरिक्त 220 बेड उपलब्ध हैं जो आपातकालीन परिस्थितियों में उपयोगी सिद्ध होते हैं। पीएमसीएच का औसत दैनिक बाह्य रोगी भार भारत में सबसे अधिक है, जो इसे देश के सबसे व्यस्त अस्पतालों में से एक बनाता है।
उन्नयन और विस्तार परियोजना
पीएमसीएच को एक अत्याधुनिक चिकित्सा केंद्र के रूप में विकसित करने के लिए बिहार सरकार ने इसे 5,462 बेड की क्षमता वाले विशाल अस्पताल में अपग्रेड करने की योजना बनाई है। इस परियोजना में एमबीबीएस सीटों की संख्या 150 से बढ़ाकर 250 और पीजी सीटों की संख्या 146 से बढ़ाकर 200 की जा रही है। करीब 5,540 करोड़ रुपये की लागत से बन रहा यह नया पीएमसीएच परिसर 72.44 लाख वर्ग फीट में फैला होगा। नई इमारत का निर्माण सिस्मिक बेस आइसोलेशन तकनीक का उपयोग कर किया जाएगा, जिससे यह भूकंप जैसी आपदाओं में भी सुरक्षित रहेगा। इस भवन में एक हेलीपैड भी होगा, जो आपातकालीन स्थिति में रोगियों को जल्दी से पहुंचाने में मदद करेगा।
मेट्रो कनेक्टिविटी और यातायात सुविधा
पीएमसीएच को पटना मेट्रो रेल परियोजना के तहत मेट्रो कनेक्टिविटी प्रदान की जा रही है, जो इस परिसर को और भी अधिक सुलभ बनाएगी। पटना मेट्रो के कॉरिडोर-2 का पीएमसीएच मेट्रो स्टेशन आंशिक रूप से अस्पताल परिसर के अंदर और अंजुमन इस्लामिया हॉल के परिसर के अंदर स्थित होगा। इसके चार प्रवेश और निकास द्वार होंगे, जो परिसर के अंदर और बाहर की सुविधाजनक कनेक्टिविटी सुनिश्चित करेंगे। यह स्टेशन पटना रेलवे स्टेशन से पाटलिपुत्र आईएसबीटी तक फैले 14.45 किमी लंबे कॉरिडोर का हिस्सा होगा।
अन्य सुविधाएं और परिसर का परिवहन नेटवर्क
पीएमसीएच परिसर पटना के प्रमुख परिवहन केंद्रों के निकट है। यहां का निकटतम हवाई अड्डा पटना हवाई अड्डा है, जो लगभग 10-11 किमी की दूरी पर स्थित है। पटना जंक्शन रेलवे स्टेशन लगभग 5 किमी दूर है, जबकि गांधी मैदान बस स्टैंड परिसर से मात्र 2 किमी की दूरी पर है। परिवहन की सुविधा इसे न केवल राज्य के विभिन्न हिस्सों से बल्कि आस-पास के राज्यों से भी आसानी से सुलभ बनाती है।
चिकित्सा सेवा में समर्पण और भविष्य की योजना
पीएमसीएच का विस्तार और अपग्रेडेशन न केवल राज्य बल्कि देश के स्वास्थ्य सेवा क्षेत्र में एक महत्वपूर्ण योगदान है। यहां का मेडिकल इंफ्रास्ट्रक्चर न केवल रोगियों के इलाज में सहायक है, बल्कि चिकित्सा के क्षेत्र में नए अनुसंधान को भी प्रेरित करता है। पीएमसीएच को मेट्रो कनेक्टिविटी मिलने से इसे और भी व्यापक स्तर पर विकसित किया जा रहा है, जिससे यह चिकित्सा सेवा का एक प्रमुख केंद्र बन सकेगा।