Thursday, November 21, 2024

पटना म्यूजियम

पटना संग्रहालय बिहार की राजधानी पटना में स्थित एक प्रमुख सांस्कृतिक स्थल है। इसका निर्माण 1917 में ब्रिटिश शासनकाल में किया गया था, ताकि पटना और उसके आस-पास के क्षेत्रों में पाए गए ऐतिहासिक अवशेषों और कलाकृतियों को संरक्षित किया जा सके। इस संग्रहालय को स्थानीय लोगों के बीच ‘जादू घर’ के नाम से भी जाना जाता है। इसकी वास्तुकला मुगल और राजपूत शैली का मेल है, जिसे इसकी विशिष्ट संरचना—झरोखा खिड़कियां, चारों ओर गुंबद, और आकर्षक छतरी—से पहचाना जा सकता है। यह संग्रहालय बिहार की बौद्धिक समृद्धि का प्रतीक है।

पटना संग्रहालय में प्राचीन काल से लेकर 1764 तक की कलाकृतियों को बिहार संग्रहालय में स्थानांतरित कर दिया गया है, जबकि 1764 के बाद के अवशेष यहां प्रदर्शित किए जाते हैं। इनमें 2300 साल पुरानी दीदारगंज यक्षी जैसी बहुमूल्य मूर्तियां शामिल हैं।

इतिहास

1912 में जब बंगाल से बिहार का विभाजन हुआ, तब यहां एक संग्रहालय की आवश्यकता महसूस की गई। बिहार और उड़ीसा सोसाइटी की एक बैठक में, तत्कालीन गवर्नर चार्ल्स एस. बेली की अध्यक्षता में एक प्रांतीय संग्रहालय स्थापित करने का प्रस्ताव सर्वसम्मति से पारित किया गया। 20 जनवरी 1915 को पटना के वर्तमान मुख्य न्यायाधीश आवास के रूप में प्रयुक्त भवन में संग्रहालय की स्थापना की गई। बाद में, 1929 में इसे वर्तमान भवन में स्थानांतरित किया गया और सात मार्च 1929 को सर लैंसडाउन स्टीदेंसन, बिहार-उड़ीसा के तत्कालीन गवर्नर, ने इसका उद्घाटन किया।

परिचय

संग्रहालय में दुर्लभ पुरावशेषों और कलाकृतियों का समृद्ध संग्रह है। इसमें नवपाषाणकालीन अवशेष, प्राचीन पांडुलिपियां, दुर्लभ सिक्के, पत्थर और खनिज, तोप और शीशा की कलाकृतियां शामिल हैं। संग्रहालय में लिच्छवियों द्वारा बनाए गए मिट्टी के स्तूप से प्राप्त भगवान बुद्ध के दुर्लभ अस्थि अवशेषों वाली मंजूषा भी है। इसके अलावा, एक पेड़ का जीवाश्म और चीड़ के पेड़ का दुर्लभ अवशेष भी यहां रखा गया है, जिसे देखने के लिए कई विदेशी पर्यटक भी आते हैं।

राहुल सांकृत्यायन द्वारा दान की गई 250 दुर्लभ पांडुलिपियों के साथ, कई पुस्तकें और शोध ग्रंथ यहां संरक्षित किए गए हैं, जिनके लिए रासायनिक उपचार भी किए गए हैं।

बिहार म्यूजियम और हेरिटेज टनल

जनवरी 2023 में, बिहार सरकार ने पटना संग्रहालय और बिहार संग्रहालय के बीच एक 1.4 किलोमीटर लंबी मेट्रो सुरंग (हेरिटेज टनल) के निर्माण की योजना बनाई, जिसके लिए दिल्ली मेट्रो रेलवे कॉर्पोरेशन लिमिटेड को सलाहकार नियुक्त किया गया। अगस्त 2023 में, इस परियोजना के लिए ₹ 542 करोड़ की संशोधित लागत को बिहार सरकार की कैबिनेट ने मंजूरी दी।

Facebook Comments

इसे भी पढ़े

इसे भी पढ़े

बिहारी खानपान

बिहारी खानपान

इसे भी पढ़े