Shaheed Smarak-शहीद स्मारक, जिसे पटना का शहीद स्मारक भी कहा जाता है, भारतीय स्वतंत्रता संग्राम के वीर सात छात्रों की स्मृति में बनाया गया एक जीवन-आकार की प्रतिमा है। ये सात छात्र 1942 के भारत छोड़ो आंदोलन के दौरान ब्रिटिश सरकार के खिलाफ राष्ट्रीय ध्वज फहराने के प्रयास में शहीद हुए थे। यह स्मारक पटना के सचिवालय भवन के सामने स्थित है, जहाँ ये वीर युवा तिरंगा फहराने के प्रयास में गोलीबारी में मारे गए थे।
स्थापना और इतिहास
इस स्मारक की नींव 15 अगस्त 1947 को बिहार के राज्यपाल श्री जयराम दास दौलतराम द्वारा रखी गई थी, और बिहार के मुख्यमंत्री श्री कृष्ण सिंह एवं उपमुख्यमंत्री डॉ. अनुग्रह नारायण सिंह की उपस्थिति में इसका उद्घाटन हुआ। प्रसिद्ध मूर्तिकार देविप्रसाद रॉयचौधरी ने इन सात शहीदों की कांस्य प्रतिमा का निर्माण किया, जिसमें वे राष्ट्रीय ध्वज थामे हुए हैं। इन प्रतिमाओं को इटली में ढाला गया और फिर पटना में स्थापित किया गया।
शहीदों की सूची
इस स्मारक पर उन सात वीर छात्रों के नाम अंकित हैं, जिन्होंने तिरंगा फहराने के प्रयास में अपने प्राणों की आहुति दी। इन शहीदों के नाम निम्नलिखित हैं:
- उमाकांत प्रसाद सिन्हा (रमण जी) – राम मोहन रॉय सेमिनरी, कक्षा IX, नरेंदरपुर, सारण
- रमणंद सिंह – राम मोहन रॉय सेमिनरी, कक्षा IX, फजलचक, पटना
- सतीश चंद्र झा – पटना कॉलेजिएट स्कूल, कक्षा X, खहरहरा, बांका
- जगतपति कुमार – बिहार नेशनल कॉलेज, द्वितीय वर्ष, खराटी, औरंगाबाद
- देविपद चौधरी – मिलर हाई इंग्लिश स्कूल, कक्षा IX, सिलहट, जमालपुर
- राजेंद्र सिंह – पटना हाई इंग्लिश स्कूल, मैट्रिक कक्षा, बनवारी चक, सारण
- रामगोविंद सिंह – पुनपुन हाई इंग्लिश स्कूल, कक्षा IX, दशरथा, पटना
भारत छोड़ो आंदोलन और शहीदों की भूमिका
1942 में भारत छोड़ो आंदोलन के चरम समय में, गांधीवादी स्वतंत्रता सेनानी श्रीकृष्ण सिंह और डॉ. अनुग्रह नारायण सिंह को गिरफ्तार कर लिया गया। उनकी गिरफ्तारी के विरोध में, सात युवा छात्रों ने पटना में तिरंगा फहराने का साहसिक निर्णय लिया। इन वीर छात्रों को ब्रिटिश पुलिस द्वारा बेरहमी से गोली मार दी गई, जिससे वे शहीद हो गए। इन युवाओं की शहादत स्वतंत्रता संग्राम के इतिहास में हमेशा यादगार रहेगी।
स्मारक का महत्व
यह स्मारक स्वतंत्रता संग्राम के उन वीर शहीदों की याद दिलाता है, जिन्होंने भारत को ब्रिटिश शासन से मुक्त कराने के लिए अपने प्राणों की आहुति दी। यह स्मारक न केवल पटना की, बल्कि पूरे देश की आजादी की लड़ाई का प्रतीक है।