अगर मन में हौसला हो और एक इंसान किसी भी बुलंदी पर पहुँच सकता है
कुछ ऐसी ही कहानी है ,बिहार के इस लाल संप्रदा सिंह की
story-of-samprada-singh-founder-of-alkem-laboratories
देश की श्रेष्ठ दवा कंपनियों में शुमार एल्केम ग्रुप के चेयरमैन संप्रदा सिंह किसान के बेटे हैं।
कुछ साल पहले फोर्ब्स मैग्जीन के सौ धनकुबेरों की सूची में 43वें नंबर पर थे। उन्होंने अपनी जिद से न सिर्फ खुद की किस्मत संवारी, बल्कि साढ़े आठ हजारों लोगों को रोजगार देकर युवाओं के लिए आज प्रेरणास्रोत बन गए हैं।
जन्म और पढाई
उनका जन्म 1925 में बिहार के जहानाबाद जिले तब (गया) में हुआ था |
साल 1950 में उन्होंने गया काॅलेज से बीकाॅम की परीक्षा पास की। औसत दर्जे का स्टूडेंट लेकिन अव्वल दर्जे की सोच हमेशा साथ रखते थे।
खेती से शुरुआत की
औसत दर्जे का छात्र रहने की वजह से उन्होंने किसी बड़ी नौकरी का इंतजार किए बगैर खेती शुरू कर दी। खेती करना शुरू किया तो उस साल सुखाड़ होने की वजह से उनकी खेती में लगी पूंजी भी डूब गई। इधर, गांव व समाज के लोगों ने पढ़-लिखकर खेती में उनकी पसंद पर ताने कसने शुरू कर दिए। तानों से तंग उनका मन गांव से बाहर निकल भाग्य आजमाने की कोशिश में जुट गए। खेती की, फिर छाता, कपड़ा व दवा भी बेची।
दवा दूकान भी चलाई
दवा दुकान चलाते-चलाते विभिन्न कंपनियों के बड़े अधिकारियों व सेल्स मैनेजरों से उनकी मुलाकात होती रही। उनके करीब रहते-रहते उन्होंने दवा उत्पादन व्यवसाय की बारीकियों को काफी हद तक समझ लिया था। पूंजी की कमी को राह में बाधक नहीं बनने दिया।
काम के लिए मुंबई प्रस्थान
1970 में अपनी दवा कंपनी डालने मुंबई पहुंच गए। वहां उन्होंने महेंद्र प्रसाद व एक अन्य मित्र से संपर्क साधा। एरिस्टो फार्मा के नाम से कंपनी का काम शुरू हो गया। तीन हिस्सेदारों वाली इस कंपनी में महेंद्र प्रसाद का हिस्सा सबसे अधिक था। एक साल में ही संप्रदा व महेंद्र प्रसाद के बीच मतभेद हो गया।
अल्केम लैबोरेटरीज लिमिटेड की स्थापना
1 9 73 में संप्रदा सिंह ने अपने छोटे भाई बसुदेव नारायण सिंह के साथ अल्केम लैबोरेटरीज लिमिटेड की स्थापना की और इसके अध्यक्ष के रूप में कार्य किया और उनके भाई अल्कम के वर्तमान प्रबंध निदेशक हैं।
व्यापर में तरक्की और उपलब्धि
एल्केम लैबोरेट्रीज की एक्सक्लूसिव दवाओं का प्रोडक्ट बाजार धीरे-धीरे विश्व के कई देशों में छा गया । अपने व्यवसाय के सिलसिले में संप्रदा सिंह ने अमेरिका, रूस, इंग्लैंड, फ्रांस, आॅस्ट्रेलिया आदि देशों में यात्रा कर व्यवसायिक प्रतिभा का डंका बजाया।
सम्मान
श्री सिंह को इन उपलब्धियों के लिए बहुत बार सम्मानित भी किया जा चूका है जहाँ 2009 में, सत्य ब्राह्मा द्वारा स्थापित फार्मास्युटिकल लीडरशिप शिखर सम्मेलन और पुरस्कार ने अल्कम को एक शीर्ष भारतीय फार्मा कंपनी के रूप में बनाने के लिए लाइफटाइम अचीवमेंट अवॉर्ड के साथ संप्रदा सिंह को सम्मानित किया। वही 2017 में, श्री सिंह को हेल्थकेयर और लाइफ साइंसेज के अर्न्स्ट एंड यंग उद्यमी का पुरस्कार मिला।
अतुल्य बिहार की पूरी टीम की ओर से बिहार के इस महान सपूत को सलाम
जरूर पढ़े अनिल अग्रवाल : वेदांत ग्रुप के संस्थापक
अगर जानकारी उपयोगी लगी हो तो शेयर अवश्य करें