तिलकुट जिसे तिलकुटम, गजक, तिलपट्टी के नाम से भी जाना जाता है, भारत के बिहार और झारखंड राज्यों में लोकप्रिय मिठाई है।
इतिहास
तिलकुट विशेष रूप से सकरात या मकर संक्रांति के त्योहार के दौरान बनाया और खाया जाता है। यह पिसे हुए तिल (तिल के बीज) और गुड़ या चीनी से बनाया जाता है। सबसे अच्छे तिलकुट की पहचान गया से होती है और यह मिठाई मुख्य रूप से मगध क्षेत्र से उत्पन्न मानी जाती है। बौद्ध साहित्य में इस मिठाई का उल्लेख ‘पलाल’ के रूप में मिलता है। तिलकुट का निर्माण शुरू में गया के रामना क्षेत्र में स्थित टेकारी रियासत में हुआ था, और इसका 150 साल पुराना इतिहास है। कहा जाता है कि टेकारी के राजा तिलकुट के प्रेमी थे और इसके निर्माण की कला को बढ़ावा दिया।
तिलकुट के प्रकार
तिलकुट तीन प्रकार में उपलब्ध होते हैं:
- सफेद तिलकुट – यह परिष्कृत चीनी से बना होता है और सफेद रंग का होता है।
- शक्कर तिलकुट – यह अपरिष्कृत चीनी से बनता है और हल्के भूरे रंग का होता है।
- गुड़ तिलकुट – यह गुड़ से बनता है और गहरे भूरे रंग का होता है।
हर प्रकार का तिलकुट अपने खास स्वाद और खुशबू के लिए जाना जाता है। गोलाकार आकार की मिठाई को तिलकुट कहा जाता है और छोटे आकार की गेंदा जैसी मिठाइयों को ‘तिलोरी’ कहते हैं।
तिलकुट बनाने की विधि
सामग्री
- सफेद तिल – 250 ग्राम
- गुड़ – 250 ग्राम (कटा हुआ)
- मावा – 100 ग्राम (वैकल्पिक, अगर स्वाद बढ़ाना हो)
- घी – 1 छोटा चम्मच (तलने के लिए)
विधि
तिल भूनना
- सबसे पहले कड़ाही में तिल डालें और धीमी आंच पर सुनहरा होने तक अच्छे से भूनें।
- तिल भुनने के बाद उन्हें ठंडा होने दें।
- ठंडे तिलों को हल्का दरदरा पीस लें (चाहें तो साबुत भी इस्तेमाल कर सकते हैं)।
गुड़ पिघलाना
- दूसरी कड़ाही में घी डालें और गुड़ को धीमी आंच पर पिघलाएं।
- गुड़ पूरी तरह से पिघलने तक उसे चलाते रहें ताकि वह जल न जाए।
- गुड़ में तार जैसा कंसिस्टेंसी आने पर समझें कि यह तैयार है (इसकी जांच करने के लिए, एक बूंद ठंडे पानी में डालें, यह सख्त होनी चाहिए)।
तिल मिलाना
- अब इस पिघले हुए गुड़ में भूने हुए तिल डालें और अच्छी तरह मिलाएं।
- अगर आप मावा का इस्तेमाल कर रहे हैं, तो इसे भी इस मिश्रण में डालें और अच्छे से मिलाएं।
मिश्रण जमाना
- इस मिश्रण को एक चिकने प्लेट या तवे पर निकालें।
- हल्का ठंडा होने पर इसे बेलन से बेल लें (या फिर हाथ से गोल आकार भी दे सकते हैं)।
- जब यह थोड़ा ठंडा हो जाए और जमने लगे, तो इसे मनचाहे आकार में काट लें।
तिलकुट तैयार है
- ठंडा होने के बाद तिलकुट को हवा-बंध डिब्बे में स्टोर करें।
तिलकुट और स्वास्थ्य
विशेषज्ञों का कहना है कि तिलकुट प्रोटीन का एक बेहतरीन शाकाहारी स्रोत है। इसमें जिंक, मैग्नीशियम, कैल्शियम और अन्य खनिज होते हैं, जो इसे स्वास्थ्य के लिए अत्यंत लाभकारी बनाते हैं। इसमें सूजनरोधी और एंटीऑक्सीडेंट गुण भी होते हैं। पोषण विशेषज्ञ महिलाओं को विशेष रूप से 35 वर्ष की उम्र के बाद तिलकुट को नियमित रूप से खाने की सलाह देते हैं क्योंकि यह हड्डियों के स्वास्थ्य के लिए बहुत अच्छा होता है। तिलकुट में मोनोअनसैचुरेटेड फैटी एसिड और ओलिक एसिड होते हैं, जो दिल के लिए फायदेमंद होते हैं और उच्च कोलेस्ट्रॉल को कम करने में मदद करते हैं। तिल और गुड़ का यह मेल सर्दियों की दोपहर में शरीर को गर्म और ऊर्जावान बनाए रखता है।
निष्कर्ष
तिलकुट न केवल एक स्वादिष्ट मिठाई है, बल्कि इसे सर्दियों में एक पोषणयुक्त और स्वास्थ्यवर्धक विकल्प के रूप में भी देखा जाता है, खासकर बिहार और झारखंड के पारंपरिक त्योहारों में इसकी विशेष भूमिका होती है।