विक्रमशिला गंगेटिक डॉल्फिन अभयारण्य-बिहार के भागलपुर जिले में स्थित एक महत्वपूर्ण संरक्षित क्षेत्र है। यह अभयारण्य गंगा नदी के लगभग 60 किलोमीटर के विस्तार में फैला है, जो सुल्तानगंज से लेकर कहलगांव तक विस्तारित है। इस अभयारण्य की स्थापना 1991 में गंगेटिक डॉल्फिन की सुरक्षा और संरक्षण के उद्देश्य से की गई थी। यह एशिया में गंगेटिक डॉल्फिन के संरक्षण के लिए सबसे महत्वपूर्ण स्थल है, जहां दुर्लभ और संकटग्रस्त गंगा डॉल्फिन पाई जाती हैं। एक समय में गंगा की इन डॉल्फिन की बड़ी संख्या में उपस्थिति थी, लेकिन अब इनकी संख्या कुछ सौ तक सीमित हो गई है, जिनमें से आधी से अधिक इस अभयारण्य में पाई जाती हैं।
गंगा डॉल्फिन: भारत का राष्ट्रीय जलीय पशु
गंगा डॉल्फिन को भारत का राष्ट्रीय जलीय पशु घोषित किया गया है। यह महत्वपूर्ण निर्णय 5 अक्टूबर 2009 को तत्कालीन प्रधानमंत्री डॉ. मनमोहन सिंह की अध्यक्षता में राष्ट्रीय गंगा नदी बेसिन प्राधिकरण (NGRBA) की पहली बैठक में लिया गया था। इस घोषणा का उद्देश्य न केवल डॉल्फिन के संरक्षण को बढ़ावा देना था, बल्कि गंगा नदी की समृद्ध जैव विविधता को भी सुरक्षित रखना था।
विक्रमशिला गंगेटिक डॉल्फिन अभयारण्य का परिचय
विक्रमशिला गंगेटिक डॉल्फिन अभयारण्य (VGDS) को गंगा डॉल्फिन की सुरक्षा और संरक्षण के उद्देश्य से अधिसूचित किया गया है। यह अभयारण्य वन्यजीव (संरक्षण) अधिनियम 1972 के तहत संरक्षित क्षेत्र के रूप में घोषित किया गया था। चूंकि यह नदी का पर्यावास है, गंगा नदी के भू-आकृतिक परिवर्तन के कारण इसका आकार और सीमा समय-समय पर बदलती रहती है।
इस अभयारण्य का नाम प्रसिद्ध विक्रमशिला विश्वविद्यालय के पुरातात्विक अवशेषों के नाम पर रखा गया है, जो एक समय में बौद्ध शिक्षा का एक प्रसिद्ध केंद्र था। नालंदा विश्वविद्यालय के साथ-साथ यह पाला साम्राज्य के दौरान विश्व भर में शिक्षा का प्रमुख केंद्र था।
महत्वपूर्ण स्थल
सुल्तानगंज, जो गंगा नदी के दक्षिणी तट पर स्थित है, भागलपुर जिले का एक महत्वपूर्ण धार्मिक केंद्र है। यह भागलपुर शहर से लगभग 25 किलोमीटर पश्चिम में स्थित है। भागलपुर, जो गंगा के दक्षिणी तट पर बसा है, बिहार का तीसरा सबसे बड़ा शहर और पूर्वी बिहार का सबसे बड़ा शहर है। यह शहर अपने शैक्षणिक और व्यापारिक महत्त्व के लिए जाना जाता है।
कहलगांव, जिसे ब्रिटिश शासनकाल में ‘कॉलगोंग’ के नाम से जाना जाता था, भागलपुर जिले का एक नगर और नगरपालिका क्षेत्र है। यह नगर प्रसिद्ध विक्रमशिला विश्वविद्यालय के पुरातात्विक अवशेषों के पास स्थित है और अभयारण्य के पूर्वी छोर पर है, जो झारखंड राज्य की सीमा से सटा हुआ है। कहलगांव का एनटीपीसी सुपर थर्मल पावर प्लांट यहां का एक महत्वपूर्ण औद्योगिक केंद्र है।
विक्रमशिला गंगेटिक डॉल्फिन अभयारण्य न केवल पर्यावरण संरक्षण के लिए बल्कि इस क्षेत्र के सांस्कृतिक और ऐतिहासिक धरोहरों को भी संजोने में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है।