बिहार का अतीत बहुत ही गौरवशाली रहा है |बिहार सरकार उसी अतीत के आईने में पर्यटन विकास का सपना साकार करने की कोशिश में लगी है। पर्यटकों को आकर्षित करने के लिए रामायण समेत सभी प्रमुख सर्किट के तेजी से विकास की योजना बनाई गई है। अन्य सर्किटों में शामिल है कांवरिया, जैन और बुद्ध सर्किट |रामायण सर्किट में आर्थिक मदद के लिए केंद्र सरकार को प्रस्ताव भेजकर सौ करोड़ रुपये मांगे गए हैं।
रामायण सर्किट से जुड़ेंगे ये स्थल
योजना में जिन प्रमुख स्थलों को रामायण सर्किट से जोड़ा जाना है उनमें सीता जी की जन्मस्थली मिथिलांचल का सीतामढ़ी जिला और विवाहस्थल जनकपुरी शामिल है। हालांकि जनकपुरी नेपाल में है। विवाह के बाद भगवान राम के साथ अयोध्या जाने के क्रम में उनके ठहरने वाले स्थलों में अहिल्या स्थान, रामरेखा घाट, ताड़का वधस्थल, गिद्धराज जटायु ने जहां सीता जी को रावण के चंगुल से बचाने को युद्ध किया, राजा दशरथ के गया में पिंडदान करने जाने के क्रम में राम-सीता जहां ठहरे, विश्वामित्र का आश्रम आदि बिहार में ही हैं। यही नहीं भारत-नेपाल सीमा पर हिमालय की तलहटी में गंडक नदी के किनारे रामायण के रचयिता वाल्मीकि की जन्मस्थली भी है।
रामायण सर्किट को स्वदेश दर्शन योजना में शामिल करने का प्रस्ताव केंद्र सरकार को भेजा गया है। इसके लिए 100 करोड़ राशि की मांग की गई है।
अगर अन्य सर्किटों की बात की जाए तो कांवरिया, जैन और बुद्ध सर्किट भी सरकार के फेहलिस्ट में है
राज्य में आध्यात्मिक क्षेत्र के विकास के लिए 317 करोड़ 44 लाख की योजना मंजूर की गई है। इससे कांवरिया सर्किट पर कार्य चल रहा है। 52.53 करोड़ की योजना में 24.5 करोड़ रुपये खर्च हुए हैं। यह योजना सुल्तानगंज से देवघर जाने वाले रास्ते में पर्यटक सुविधा उपलब्ध कराने के लिए है।
जैन सर्किट के विकास के लिए 52.39 करोड़ रुपये की स्वीकृति मिली है। इसके तहत वैशाली, आरा, मसाढ़, राजगीर, पावापुरी, चंपापुरी में काम हो रहा। 26 करोड़ छह लाख रुपये की स्वीकृति दी जा चुकी है। बुद्ध सर्किट में बोधगया में कल्चरल सेंटर का निर्माण हो रहा है। पूरी योजना 98.73 करोड़ की है। इसमें 19.75 करोड़ की निकासी हो चुकी है।
मंदार पर्वत का भी विकास
स्वदेश दर्शन योजना में बांका के मंदार पर्वत और भागलपुर के आसपास का इलाका जिसे अंग प्रदेश के नाम से जाना जाता है, इसमें मंदार पर्वत के अतिरिक्त आकाश-गंगा, अवंतिका नाथ मंदिर, कामधेनु मंदिर, मधुसूदन मंदिर का विकास हो रहा है। इको टूरिज्म साइट, भीमबांध और चंडिका स्थान का विकास भी होना है। इनके लिए 10.70 करोड़ रुपये मंजूर किए जा चुके हैं।