हम सब जानते हैं कि फसलों की बेहतर उपज के लिए बीज सबसे महत्त्वपूर्ण सामग्री है। एक गुण से भरपूर उम्दा क्वालिटी का बीज एक अच्छी फसल की गारंटी का पहला सीढ़ी है ।
बिहार के कृषि विभाग मंत्री डाॅ॰ प्रेम कुमार ने कहा कि फसलों की बेहतर उपज के लिए बीज सबसे महत्त्वपूर्ण अवयव है। गुणवत्तापूर्ण बीज पर ही फसलों की उत्पादकता निर्भर करती है। उन्होंने कहा की खरीफ मौसम में हमारी सरकार राज्य के किसानों को गुणवत्तापूर्ण बीज की ससमय उपलब्धता सुनिश्चित कराने के लिए प्रतिबद्व है। विभाग के पदाधिकारियों को इसके लिए समुचित निदेश दिये गये हैं। ऐसी व्यवस्था की जा रही है कि राज्य में खरीफ फसलों के लिए बीज की कमी नहीं होगी।
मंत्री ने कहा कि राज्य को बीज के मामले में आत्मनिर्भर बनाने के लिए विभिन्न प्रकार की योजनाएँ चलाई जा रही हैं। राज्य में प्रमाणित बीज के उत्पादन को बढ़ाने के लिए राज्य सरकार द्वारा कई कार्यक्रम चलाये जा रहे हैं। राज्य में प्रमाणित बीज के उत्पादन पर बल जा रहा है। किसानों को भी बीज उत्पादन के लिए प्रोत्साहित करने की योजना स्वीकृत की गई है।
उन्होंने कहा कि राज्य सरकार द्वारा बीज उत्पादन को बढ़ाने के लिए मुख्यमंत्री तीव्र बीज विस्तार योजना के अंतर्गत 90 प्रतिशत अनुदान पर प्रमाणित बीज उपलब्ध कराया जा रहा है। यह योजना राज्य के सभी राजस्व ग्रामों में चलाई जा रही है। इस योजना में प्रत्येक गाँव के चुने गये दो किसानों को अनुदानित दर पर बीज उपलब्घ कराया जा रहा है। राज्य सरकार से प्राप्त अत्याधुनिक किस्म के बीज किसान स्वयं अपने लिए तथा गाँव के दूसरे किसानों के लिए बीज पैदा करते हैं। किसानों के बीच अदला-बदली के माध्यम से नये बीज का प्रचार-प्रसार हो रहा है। इस कार्यक्रम की प्रशंसा भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद् के द्वारा भी की गई है।
डाॅ॰ कुमार ने बताया कि राज्य में बीज ग्राम योजना का भी कार्यान्वयन किया जा रहा है। बीज ग्राम के अधीन चुने गये गाँवों में सभी इच्छुक किसानों को अनुदानित दर पर आधार बीज उपलब्ध कराया जाता है। । इनके अलावे राज्य सरकार द्वारा एकीकृत बीज ग्राम योजना का भी कार्यान्वयन किया जा रहा है। इस योजना के तहत् गाँव के सभी इच्छुक किसानों को अनुदानित दर पर आधार बीज उपलब्ध कराया जाता है तथा उत्पादन की प्रक्रिया को प्रमाणीकरण से भी जोड़ा गया है। किसान जो भी बीज उपजाते है, उन्हे बिहार राज्य बीज निगम द्वारा खरीद कर प्रोसेस तथा भण्डारण का कार्य किया जाता है तथा पुनः उसे किसानों को उपलब्ध कराया जाता है।