राज्य सरकार ने पिछड़े, अतिपिछड़े वर्ग व अल्पसंख्यक समुदाय के छात्र-छात्राओं के लिए खजाने का मुंह खोल दिया है। राज्य मंत्रिपरिषद की मंगलवार को हुई बैठक में पिछड़ा व अतिपिछड़ा वर्ग अल्पसंख्यक कल्याण छात्रावासों के छात्रावासों में रहने वाले छात्र-छात्राओं को भी हर महीने एक हजार रुपये का अनुदान मिलेगा। मंगलवार को हुई राज्य मंत्रिपरिषद की बैठक में कुल 21 प्रस्तावों को मंजूरी दी गई है।
मंत्रिमंडल समन्वय विभाग के प्रधान सचिव अरुण कुमार सिंह व गृह एवं अल्पसंख्यक कल्याण विभाग के प्रधान सचिव आमिर सुबहानी ने संयुक्त रूप से बताया कि यह राशि मुख्यमंत्री अल्पसंख्यक कल्याण छात्रावास अनुदान योजना व मुख्यमंत्री पिछड़ा वर्ग छात्रावास अनुदान योजना के तहत प्रदान की जाएगी। आमिर सुबहानी ने बताया कि राज्य में फिलहाल कुल 33 अल्पसंख्यक कल्याण छात्रावास हैं। इनमें 3350 छात्र-छात्राओं के रहने की व्यवस्था है।
साथ ही राज्य में 11 नए अल्पसंख्यक कल्याण छात्रावास स्थापित किए जाएंगे। तब इन छात्रावासों में रहने वाले छात्र-छात्राओं की संख्या बढ़कर 5340 हो जाएगी। इसी तरह, राज्य के विभिन्न जिलों में कुल 33 पिछड़ा व अतिपिछड़ा वर्ग कल्याण छात्रावासों का संचालन किया जा रहा है। 10 छात्रावास निर्माणाधीन हैं। अनुदान पर सरकार को हर साल 3.94 करोड़ रुपये का खर्च उठाना होगा।
सिविल सेवा परीक्षा की पीटी उत्तीर्ण करने वाले अतिपिछड़े अभ्यर्थियों को 50 हजार से एक लाख का वजीफा
राज्य मंत्रिमंडल ने पिछड़ा व अतिपिछड़ा वर्ग कल्याण विभाग के उस प्रस्ताव को भी मंजूरी दे दी है जिसमें सिविल सर्विसेज की प्रारंभिक परीक्षा (पीटी) उत्तीर्ण करने वाले अभ्यर्थियों को एकमुश्त राशि देने के प्रस्ताव को मंजूरी दी गई है। इसमें अतिपिछड़ा वर्ग के अभ्यर्थियों को एक लाख तथा बिहार लोक सेवा आयोग की पीटी उत्तीर्ण करने वाले अतिपिछड़े वर्ग के अभ्यर्थियों को 50 हजार रुपये का भुगतान किया जाएगा।
मंत्रिमंडल ने मान्यता प्राप्त विश्वविद्यालयों से आचार्य व फाजिल की डिग्री हासिल करने वालों को राजकीयकृत व परियोजना माध्यमिक विद्यालयों के शिक्षकों को स्नातकोत्तर डिग्रीधारी शिक्षक के समतुल्य मानते हुए प्रधानाध्यापक के पद पर प्रोन्नति का पात्र होगा। मंत्रिमंडल ने शिक्षा विभाग के इस प्रस्ताव को भी अपनी स्वीकृति प्रदान कर दी है।