Thursday, November 21, 2024

उच्चैठ सिद्धपीठ: मां काली का ऐतिहासिक मंदिर, जहां मूर्ख कालिदास बने थे महान कवि

मंदिर का ऐतिहासिक महत्व

बिहार के मधुबनी जिले के बेनीपट्टी गांव में स्थित उच्चैठ सिद्धपीठ, मां काली का ऐतिहासिक और पवित्र स्थल है। यह स्थान विशेष रूप से इसलिए प्रसिद्ध है क्योंकि यहीं पर महान कवि कालिदास को मां काली का आशीर्वाद प्राप्त हुआ था। कहा जाता है कि कालिदास, जो कभी मूर्ख माने जाते थे, मां के आशीर्वाद से ही विद्वान बने और भारत के महानतम कवियों में शामिल हुए।

मां छिन्नमस्तिका की पूजा

मंदिर में देवी काली की मूर्ति काले शिलाखंड पर स्थापित है, जहां मां सिंह पर विराजमान हैं। यहां देवी का केवल कंधों तक का हिस्सा दिखाई देता है, इसलिए उन्हें छिन्नमस्तिका दुर्गा के रूप में पूजा जाता है। मंदिर के पास स्थित श्मशान घाट में आज भी तंत्र साधना की जाती है, जिससे इस स्थल का आध्यात्मिक महत्व और बढ़ जाता है।

कालिदास का आशीर्वाद और विद्वत्ता

कालिदास जब अपनी विद्वान पत्नी के तिरस्कार से आहत होकर उच्चैठ पहुंचे, तो उन्होंने मां भगवती की शरण ली। किंवदंती के अनुसार, कालिदास ने मां के मुख पर कालिख लगा दी, और तभी देवी प्रकट होकर उन्हें आशीर्वाद दिया। इसी आशीर्वाद के फलस्वरूप, कालिदास रातभर में विद्वान बन गए और अभिज्ञान शाकुंतलम, कुमारसंभव, और मेघदूत जैसी कालजयी कृतियों की रचना की।

मंदिर से जुड़ी प्राचीन कथा

मंदिर के पास स्थित संस्कृत पाठशाला और वह प्राचीन नदी, जिसे कालिदास ने पार किया था, आज भी इस ऐतिहासिक घटना की गवाही देते हैं। मंदिर के प्रांगण में कालिदास के जीवन से जुड़ी चित्रकथाएं भी चित्रित हैं, जो इस स्थल को और भी रोचक बनाती हैं।

कैसे पहुंचे उच्चैठ सिद्धपीठ

उच्चैठ देवी स्थान बेनीपट्टी से 4 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है, और निकटतम रेलवे स्टेशन मधुबनी है। यह सिद्धपीठ सड़क मार्ग द्वारा दरभंगा, सीतामढ़ी और मधुबनी से जुड़ा हुआ है। यहां सालभर श्रद्धालुओं का आना-जाना लगा रहता है, खासकर नवरात्रि के अवसर पर, जब भारी संख्या में लोग माता के दर्शन के लिए यहां आते हैं।

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