Thursday, November 21, 2024

थावे वाली माँ का मंदिर: आस्था, इतिहास और चमत्कार की भूमि

बिहार के गोपालगंज जिले में स्थित थावे वाली माँ का मंदिर न केवल एक प्राचीन धार्मिक स्थल है, बल्कि यह आस्था, चमत्कार और भक्ति की एक अद्भुत गाथा भी है। गोपालगंज शहर से लगभग 6 किलोमीटर की दूरी पर स्थित इस मंदिर को थावे क्षेत्र के नाम पर थावे वाली माँ का मंदिर कहा जाता है। यहाँ माँ को कई नामों से पुकारा जाता है—“थावे वाली माँ”, “सिंहासिनी भवानी”, “रहषु भवानी” और “थावे भवानी”। माँ थावेवाली का यह मंदिर बिहार के प्रसिद्ध सिद्धपीठों में से एक है, जहाँ दूर-दूर से भक्त अपनी मनोकामनाएँ पूरी करने के लिए आते हैं।

माँ थावेवाली का पौराणिक इतिहास

पौराणिक कथाओं के अनुसार, माँ थावेवाली असम के प्रसिद्ध कामरूप कामाख्या मंदिर से आई हैं। प्राचीन समय में थावे में रहषु भगत नामक एक अत्यंत श्रद्धालु भक्त रहते थे, जो माँ कामाख्या के परम उपासक थे। रहषु भगत की भक्ति इतनी प्रबल थी कि माँ कामाख्या स्वयं उनके समर्पण से प्रसन्न होकर उन्हें नियमित रूप से दर्शन देती थीं। भगत के पास कई दिव्य शक्तियाँ थीं, जिन्हें माँ की कृपा से प्राप्त किया गया था। हालाँकि, उस समय के राजा मनन सिंह को उनकी भक्ति पर विश्वास नहीं था।

राजा मनन सिंह को लगता था कि रहषु भगत सिर्फ ढोंगी हैं और जनता को भ्रमित करते हैं। एक दिन, राजा ने रहषु भगत को अपने दरबार में बुलाया और उनका अपमान किया। भगत ने अपनी सच्ची भक्ति की बात कही और कहा कि माँ उन्हें दर्शन देती हैं। यह सुनकर राजा क्रोधित हो गए और भगत को चुनौती दी कि यदि वे माँ के सच्चे भक्त हैं, तो दरबार में माँ को बुलाकर दिखाएं, नहीं तो उन्हें दंडित किया जाएगा।

माँ का प्रकट होना और चमत्कार

रहषु भगत राजा के इस हठ के आगे मजबूर हो गए और उन्होंने माँ का आह्वान किया। माँ कामरूप कामाख्या से थावे के लिए प्रस्थान कर आईं। मान्यता के अनुसार, माँ ने भगत के मस्तक को फाड़कर राजा को अपना कंगन दिखाया। इस चमत्कार को देखकर राजा और उनके राज्य का अंत हो गया। रहषु भगत की सच्ची भक्ति और माँ की कृपा के इस अद्भुत चमत्कार के पश्चात, उसी स्थान पर माँ थावे वाली का भव्य मंदिर स्थापित किया गया, जो आज आस्था का प्रमुख केंद्र है।

मंदिर की महिमा और महत्व

थावे वाली माँ का यह मंदिर न केवल एक धार्मिक स्थल है, बल्कि यह एक ऐसी जगह है जहाँ भक्तों को आध्यात्मिक शांति और माँ की दिव्य कृपा प्राप्त होती है। इस मंदिर के बगल में ही रहषु भगत का एक मंदिर भी स्थित है। यहाँ की मान्यता है कि जब तक भक्त रहषु भगत की मूर्ति के दर्शन नहीं करते, तब तक माँ की भक्ति पूरी नहीं होती। यह स्थान भक्तों के लिए अत्यंत पवित्र है और यहाँ आने वाले श्रद्धालुओं को माँ थावेवाली के आशीर्वाद से उनकी मनोकामनाएँ अवश्य पूरी होती हैं।

विशेष अवसर और नवरात्रि महोत्सव

नवरात्रि के समय थावे वाली माँ के मंदिर में विशेष पूजा-अर्चना और बलि प्रदान का आयोजन होता है। इस अवसर पर हजारों की संख्या में भक्त दूर-दूर से यहाँ आते हैं। साल भर यहाँ भक्तों का आना-जाना लगा रहता है, लेकिन नवरात्रि के दौरान यह स्थान अत्यधिक जीवंत और भक्तिमय हो जाता है। माँ की विशेष पूजा और आराधना के साथ भक्त अपनी श्रद्धा व्यक्त करते हैं और माँ के आशीर्वाद की प्राप्ति के लिए विशेष अनुष्ठान करते हैं।

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मंदिर की भव्यता और पहुँच

माँ थावेवाली का मंदिर स्थापत्य कला का अद्भुत उदाहरण है। यहाँ की वास्तुकला और नक्काशी प्राचीन भारतीय कला और संस्कृति की झलक दिखाती है। गोपालगंज शहर से यह मंदिर सड़क मार्ग द्वारा आसानी से पहुँचने योग्य है, और यहाँ बस या टैक्सी से भी पहुँचा जा सकता है। नजदीकी रेलवे स्टेशन गोपालगंज है, जहाँ से श्रद्धालु मंदिर तक का सफर कर सकते हैं।

थावे वाली माँ का यह मंदिर न केवल चमत्कार और भक्ति की धरोहर है, बल्कि यह स्थान हजारों भक्तों के लिए आध्यात्मिक शांति और माँ की कृपा का स्रोत भी है। यहाँ आने वाले हर भक्त को माँ के दिव्य आशीर्वाद से जीवन में सुख, समृद्धि और शांति का अनुभव होता है।

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